ठठरी किस भाषा का शब्द है
ठठरी शब्द आज कल बहुत चर्चा में है और इसे चर्चा में लाने वाले हैं बागेश्वर धाम के आदरणीय श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी। उन्होंने ने बहुत बार ठठरी शब्द का प्रयोग किया है और अक्सर करते रहते हैं क्योंकि यह बुंदेलखंड क्षेत्र की बोली का एक शब्द है।
ठठरी बांधने का अभिप्राय प्रायः किसी को अशक्त या निर्बल बना देने से ही होता है।
ठठरी क्या होता है
जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे मरघट या शमशान तक ले जाने के लिए बांस की मृत्युशैय्या तैयार की जाती है। दो बांसों को अगल-बगल समानांतर रखकर बांसों की ही पतली-पतली डंडियों से उन्हें आपस में सम्बद्ध किया जाता है। इस मृत्युशैय्या के चार कोनो पर से पकड़ के चार व्यक्ति शव को श्मशान घाट ले जाते हैं। यही मृत्युशैय्या बनाना ही बुंदेली भाषा में ठठरी बांधना कहा जाता है और ठठरी शब्द का अभिप्राय शरीर के ढांचे से है। आप इसे शरीर का कंकाल ही जानिए।
जैसे पेड़ बिना पत्तों के ठूंठ होता है वैसे ही शरीर अस्थिगत ढांचा ही ठठरी है।
ठठरी के बंधे – यह एक अपशब्द है जिसका अर्थ मृतप्राय अवस्था को प्राप्त होना
ठठरी बांधना-एक मुहावरा
प्रायः शत्रुओं के लिए ठठरी बांधने वाले मुहावरे को धमकी की तरह प्रयोग किया जाता है। जिसका सामान्य अर्थ सामने वाले शत्रु को निर्बल या पूर्णतः अशक्त बना देने से होता है। या उसकी दुष्टता को पूर्णतः समाप्त करने से होता है।
हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि नितांत दुष्ट व्यक्ति सज्जनता से नहीं मानते अतएव उनकी दुष्टता पर लगाम कसने के लिए उनसे उसी प्रकार का व्यवहार करना पड़ता है। जैसे उनकी ठठरी बाँध दी गयी हो।
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