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छिति जल पावक गगन समीरा। Chiti Jal Pavak Gagan Samira

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छिति जल पावक गगन समीरा पद का अर्थ

छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा॥

अर्थ : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – इन पाँच तत्वों से यह अत्यंत नीच शरीर रचा गया है।

छिति जल पावक गगन समीरा पूरी चौपाई का अर्थ

इसकी पूरी चौपाई इस प्रकार है।

तारा बिकल देखि रघुराया। दीन्ह ग्यान हरि लीन्ही माया॥
छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा॥

अर्थ : तारा (वानरराज बाली की पत्नी) को व्याकुल देखकर प्रभु श्री राम जी ने तारा के ऊपर से अपनी विष्णुमाया समेट ली और ज्ञान दृष्टि प्रदान की (ताकि वह शांत हो जाय)। उन्होंने कहा यह मानव शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पांच तत्वों से निर्मित है। (अतः मृत्यु पर शोक नहीं करना चाहिए )

कठिन शब्दों के अर्थ

  • छिति -धरती/मिट्टी (Earth)
  • जल – पानी (Water)
  • पावक – अग्नि / आग (Fire)
  • गगन – आकाश (Sky)
  • समीरा – वायु (Air)
  • पंच – पांच (Five)
  • अधम – नीचा/ गिरा हुआ ( Downgraded)
  • सरीरा -शरीर (Body)
  • बिकल – व्याकुल / दुखी (Sad/Baffled)

सन्दर्भ एवं प्रसंग

यह चौपाई उस समय की है जब वानरराज बाली को भगवान राम ने बाण मारकर वध कर दिया था। जब बलि की पत्नी तारा को पता चला तो वह भागते हुयी वहां आयी और पति की मृत देह देखकर बहुत दुखी हो गयी और विलाप करने लगी। तारा को बहुत व्याकुल देखकर प्रभु ने अपनी विष्णुमाया (जिससे सारा जगत रचित है और कार्य करता है) की प्रबलता कम की और उसे ज्ञान प्रदान किया। इसके प्रभाव से तारा का दुःख कम हुआ और उसक मन कुछ शांत हुआ।

यह मानव शरीर पृथ्वी, आकाश, अग्नि, वायु और आकाश से मिलकर बना है। इन्ही तत्वों से बने होने के कारण यह मानव शरीर नश्वर भी होता है। जिस प्रकार यह बनता है वैसे ही एक दिन इसे एक दिन समाप्त भी होना होता है। यही इसकी नियति है। मानव शरीर के इतर देव योनियों में पृथ्वी तत्व क आभाव होता है और अन्य दिव्य तत्वों का समावेश होता है।

इसके बाद का दोहा

प्रगट सो तनु तव आगे सोवा। जीव नित्य केहि लगि तुम्ह रोवा॥
उपजा ग्यान चरन तब लागी। लीन्हेसि परम भगति बर मागी॥3॥

अर्थ : वह शरीर तो प्रत्यक्ष तुम्हारे सामने लेटा हुआ है, और जीव नित्य है। फिर तुम किसके लिए रो रही हो? जब ज्ञान उत्पन्न हो गया, तब वह भगवान्‌ के चरणों लगी और उसने परम भक्ति का वर माँग लिया।

FAQs -बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. छिति जल पावक गगन समीरा किस कांड में है?

A. किष्किंधा-कांड में ।

Q2. क्षिति जल पावक गगन समीरा पंच रहित यह अधम सरीरा इन पंक्तियों के रचयिता कौन हैं?

A. गोस्वामी श्री तुलसी दास ।

Q3. मनुष्य का शरीर कितने तत्वों से मिलकर बना है?

A. A. मनुष्य का शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है- पृथ्वी, आकाश, अग्नि, वायु और आकाश। इन्हे पंचतत्व या पांच महाभूत भी कहते हैं। इन्ही तत्वों से बने होने के कारण यह मानव शरीर नश्वर भी होता है।

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