‘चलबा न करे मेड़ा ओदार दे’ ये मुहावरा तब प्रयुक्त होता है जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु या सुविधा का प्रयोग इतनी बुरी तरह से करे की उसे क्षतिग्रस्त हो कर दे। सुविधाओं का इस तरह उपयोग करना की वह उसके बाद किसी के उपयोग के काबिल ही न रह जाए। यह उपयोग नहीं वस्तुतः दुरुपयोग है।
आइए अब मुहावरे का सीधा अर्थ भी समझ लेते हैं । यह मुहावरा ठेठ गांव की संकृति से निकाला है।
चलबा न करे मेड़ा ओदार दे
अर्थ : व्यक्ति केवल(खेत की) मेड़ पर चले ही नही बल्कि चलने की प्रक्रिया में मेड़ को उखाड़ ही दे।
चलबा न करे मेड़ा ओदार दे-शब्दार्थ
चलबा =चलना
मेड़ा = खेत की सीमा रेखा
ओदार=उखाड़ देना
चलबा न करे मेड़ा ओदार दे का संदर्भ
गांवों में खेत की सीमा रेखा अंकित करने के लिए थोड़ी थोड़ी मिट्टी का प्रयोग करके 8-10इंच ऊंची मेड़ बना देते हैं। यह मेड़ केवल खेत के सीमा रेखा ही नहीं इंगित करती वरन उसी पर चल कर लोग अपने अपने खेतों में आते जाते हैं। मेड़ खेतों की नरम मिट्टी से बनी होती है और यदि व्यक्ति इस पर बहुत बल से पैर पटक-पटक कर चले तो इसे तोड़ भी सकता है। इसे तोड़ने से किसान का नुकसान होता है और आने-जाने वालों को भी असुविधा होती है।
ऐसे कृत्य को लोग असामाजिक मानकर भर्त्सना करते हैं। और इसी से कहावत उत्पन्न हुई कि ‘ चलबा न करे मेड़ा ओदार दे।’
चलबा न करे मेड़ा ओदार दे का वाक्य प्रयोग
गांव में जुम्मन मियां के घर के आगे सरकारी हैंडपंप लगा।लेकिन जुम्मन मियां के दस बच्चों ने खेल खेल कर हैंडपंप को कुछ ही दिनों में खराब कर दिया। इसी को कहते हैं कि चलबा न करे मेड़ा ओदार दे ।
अन्य प्रकार से उच्चारण
कुछ लोग इसी मुहावरे का अन्य प्रकार से भी कहते हैं परन्तु उन सभी का अर्थ एक ही होता है जैसा की हमने ऊपर बताया है
- चलत चलत मेड़ा उखाड़ दे
- चलब न करे मेड़ा ओदार दे
- चलsअ और मेड़ा उखाड़ दे
- चलबो करे और मेड़ो उखाड़ दे
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