दूर के ढोल सुहावने मुहावरे का अर्थ है : किसी वस्तु का दूर से अच्छा लगना पर पास जाने पर वही ख़राब प्रतीत होना अर्थात उसकी असलियत का पता लग जाना।”
कभी किसी के शादी व्याह या किसी उत्सव में यदि आपने ढोल सुना हो तो दूर से मनमोहक प्रतीत होता है। पर वहीँ यदि आप ढोल बजाने वाले के नजदीक जाके खड़े हों तो पता चलता है कि ढोल कि ध्वनि कितनी तेज और कर्कश है। वही ढोल कि आवाज जो दूर से सुन्दर लग रही थी पास खड़े होने पर कानो के परदे फाड़ देगी ऐसा प्रतीत होता है।
इसका प्रयोग कहाँ होता है
इस मुहावरे का प्रयोग वहां करते हैं जब किसी स्थिति, व्यक्ति या वस्तु के बारे में कोई अनुमान निराशाजनक निकला जाए।
दूर के ढोल सुहाने का वाक्य प्रयोग
आइये कुछ उदाहरण देखते हैं।
- जगमोहन ने दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर जैसे शहरों के बारे में काफी सुन रखा था। लेकिन वहां जाकर उसे पता चला की जीवन कितना संघर्षपूर्ण होता है तब उसे समझ आया की दूर के ढोल सुहावने (Dur ke Dhol Suhane) होते हैं।
- परदे पर फ़िल्मी दुनिया की चकाचौंध देखकर शालिनी फिल्मों में काम करने मुंबई आयी तब उसे असलियत पता चली। सच ही है दूर के ढोल सुहाने होते हैं।
दूर के ढोल सुहावने मुहावरे का अंग्रेजी सामानांतर
दूर के ढोल सुहाने (Dur ke Dhol Suhavane) मुहावरे का अंग्रेजी सामानांतर ‘The Grass is always greener on other side’ जिसका अर्थ है की दूसरे तरफ की घास अधिक हरी दिखती है।
ढोल शब्द के ऊपर एक और मुहावरा देखिये- ढोल गंवार शूद्र पशु नारी
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