कबीर के दोहे|Kabir Ke Dohe with Meaning
कामी क्रोधी लालची , इनते भक्ति ना होय ।भक्ति करै कोई सूरमा , जादि बरन कुल खोय ।।1 अर्थ: विषय...
कामी क्रोधी लालची , इनते भक्ति ना होय ।भक्ति करै कोई सूरमा , जादि बरन कुल खोय ।।1 अर्थ: विषय...
कबीर गुरु की भक्ति बिन, धिक जीवन संसार ।धुंवा का सा धौरहरा, बिनसत लगे न बार ।।1 अर्थ: संत कबीर...
कबीर हरि के रुठते, गुरु के शरणै जाय ।कहै कबीर गुरु रुठते , हरि नहि होत सहाय ।।1 अर्थ: प्राणी...
“सीताराम चरन रति मोरे, निशिदिन बढ़हिं अनुग्रह तोरे!” कठिन शब्दों के अर्थ सीता राम = माता सीता भगवान राम, अर्थात...
कथा विसर्जन होत है सुनो वीर हनुमान कथा विसर्जन होत है सुनो वीर हनुमानराम लखन संग जानकी सदा करो कल्याण...