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कबीर के दोहे|Kabir Ke Dohe with Meaning

कामी क्रोधी लालची , इनते भक्ति ना होय ।भक्ति करै कोई सूरमा , जादि बरन कुल खोय ।।1 अर्थ: विषय वासना में लिप्त रहने वाले, क्रोधी स्वभाव वाले तथा लालची प्रवृति के प्राणियों से भक्ति नहीं …

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कबीर दास के 10 दोहे | Kabir Das Ke Dohe

कबीर दास के दोहे (Kabir Das Ke Dohe) कबीर गुरु की भक्ति बिन, धिक जीवन संसार ।धुंवा का सा धौरहरा, बिनसत लगे न बार ।।1  अर्थ: संत कबीर जी कहते हैं कि गुरु की भक्ति के …

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कबीर दास के 5 दोहे

कबीर हरि के रुठते, गुरु के शरणै जाय ।कहै कबीर गुरु रुठते , हरि नहि होत सहाय ।।1 अर्थ: प्राणी जगत को सचेत करते हुए कहते हैं – हे मानव । यदि भगवान तुम से रुष्ट …

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Sitaram Charan Rati More - Bharat Milap

सीताराम चरण रति मोरे का अर्थ | Sitaram Charan Rati More

“सीताराम चरण रति मोरे अनुदिन बढ़हिं अनुग्रह तोरे!” (‘Sitaram charan rati more Anudin Badhau Anugrah Tore’) सीताराम चरण रति मोरे पद का अर्थ : Sitaram Charan Rati More भरत जी तीर्थराज प्रयाग से प्रार्थना कर रहे …

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श्री रामायण विसर्जन वंदना | Ramayan Visarjan Lyrics

श्री रामचरितमानस के पाठ के बाद देवताओं को विदा किया जाता है।इस अवसर पर अंत में इस रामायण विसर्जन (Ramayan Visarjan) वंदना का गायन होता है। श्री रामायण विसर्जन हिंदी में जय जय राजा राम की,जय …

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