September 22, 2023

श्री रामायण विसर्जन आरती|Ramayan Visarjan Vandana

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Table of Contents

Ramayan Visarjan Aarti in Hindi

जय जय राजा राम की,जय लक्ष्मण बलवान।
जय कपीस सुग्रीव की, जय अंगद हनुमान॥

जय जय कागभुशुण्डि की, जय गिरि उमा महेश।
जय ऋषि भारद्वाज की,जय तुलसी अवधेश॥

कथा विसर्जन होत है सुनो वीर हनुमान।
राम लखन संग जानकी सदा करो कल्याण॥

प्रभु सन कहेउँ दंडवत , तुमहिं कहउँ कर जोरि।
बार बार रघुनायकहिं, सुरति करायहु मोरि॥

जो जन जहाँ से आए हो, ध्यान सुनो मन लाय।
अपने अपने धाम को,विदा होय हर्षाय॥

श्रोता सब आश्रम गए, शम्भू गए कैलाश।
रामायण मम हृदय मह, आन करहुं तुम वास॥

बनी सी पावन परम, देनी श्रीफल चारि।
स्वर्ग नसेनी हरिकथा, नरकि निवारि निहारि॥

राम लक्ष्मण जानकी, भरत शत्रुघ्न भाई।
कथा विसर्जन होत है, ये कहि शीश नवाई॥

बार बार वर मंगहि, हरषि देहु श्रीराम।
पद सरोज अनपायनी, भगति सदा सत्संग॥

अर्थ न धर्म न काम रूचि,गति न चहौ निर्वान।
जनम जनम रति राम पद, यह वरदान न आन॥

दीजै दीन दयाल मोहि, बड़ौ दीन जन जान।
चरण कमल को आसरो, सात संगति की बान॥

राम चरन रति जो चहे, अथवा पद निर्वान।
भाव सहित यह सो कथा, कहे श्रवण पुट पान॥

मुनि दुर्लभ हरि भक्ति नर, पावहि बिना प्रयास
जो यह कहा निरंतर, सुनहि मानि विश्वास॥

रामायण जसु पावन, गवाही सुनहि जे लोग।
राम भगति ढृढ़ पावहि, बिन बिराग जप जोग॥

रामायण बैकुण्ठ गई सुर गये निज-निज धाम ।
राम चंद्र के पद कमल बंदि गये हनुमान ॥

एक घड़ी आध घड़ी आधो में पुनि आध।
तुलसी संगत साधु की हरत कोटि अपराध॥

प्रणत पाल रघुवंश मणि करुणा सिंधु खरारि।
गये शरण प्रभु राखिहैं सब अपराध बिसार॥

कामहि नारि पियार जिमि,लोभिहि प्रिय जिमि दाम।
तिमि रघुनाथ निरंतर, प्रिय लागहु मोहि राम॥

देवी देवताओं की जय-जयकार

॥सियावर रामचंद्र की जय॥
॥उमा पति महादेव जी की जय॥
॥पवनसुत हनुमानजी की जय॥
॥गोस्वामी तुलसीदास जी की जय॥
॥बोलो भाई सब संतो की जय॥

॥ इति श्री रामायण विसर्जन आरती (Ramayan Visarjan Aarti) वंदना समाप्त॥

श्री रामचरितमानस के पाठ के बाद देवताओं को विदा किया जाता है। इस अवसर पर अंत में इस रामायण विसर्जन (Ramayan Visarjan) आरती का गायन होता है।

रामायण आवाहन के लिए वंदना एक अलग पोस्ट में है।

आगे पढ़ें

श्री रामायण जी की आरती

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