रामायण आवाहन वंदना| Ramayan Avahan
श्री रामचरितमानस के पाठ के समय आवाहन के लिए नीचे दिए गए पदों को उनसे सम्बंधित देवी देवताओं का भक्ति पूर्वक ध्यान करते हुए पाठ करें।
श्री गणेश जी का स्मरण व वंदना
जो सुमिरत सिद्ध होय गण नायक करिवर बदन।
करहुँ अनुग्रह सोई बुद्धि राशि शुभ गुण सदन।।
भगवान विष्णु का स्मरण व वंदना
मूक होई वाचाल पंगु चढ़ाई गिरिवर गहन।
जासु कृपासु दयाल द्रवहु सकल कलिमल दहन।।
नील सरोरुह श्याम तरुन अरुन वारिज नयन।
करहु सो मम उर धाम सदा क्षीरसागर सयन।।
भगवान शंकर जी का स्मरण व वंदना
कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुणा अयन।
जाहि दिन पर नेह करहुँ कृपा मर्दन मयन।।
पूज्य गुरुदेव का स्मरण व वंदना
बंदहु गुरुपद कंज कृपा सिंधु नर रूप हरि।
महा मोह तम पुंज जासु वचन रविकर निकर।।
ऋषिमुनियों का स्मरण व वंदना
बंदहु मुनिपद कंज रामायन जेहि निर मयऊ।
सखर सुकोमल मंजु दोष रहित दूषन सहित।।
वेदों की वंदना
बंदहु चारहु वेद भव वारिध वो हित सरिस।
जिनहि न सपनेहु खेद बरनत रघुपति विमल यश।।
विधाता का स्मरण व वंदना
बंदहु विधि पद रेनु भवसागर जिन कीन्ह यह।
संत सुधा शशि छेनू प्रगटे खल विष बारुनी।।
श्री अयोध्या नरेश की वंदना
बंदहु अवध भुआल सत्य प्रेम जेहि राम पद।
बिछुरत दीनदयाल प्रिय तनु तृन ईव पर हरेऊ।।
श्री हनुमान जी की वंदना
बंदहु पवन कुमार खल वन पावक ज्ञान घन।
जासु ह्र्दय आगार बसहि राम सर चाप धर।।
राम कथा के रसिक तुम, भक्ति राशि मति धीर।
आय सो आसन लीजिये, तेज पुंज कपि वीर।।
रामायण तुलसीकृत कहऊ कथा अनुसार।
प्रेम सहित आसन गहऊ आवहु पवन कुमार।।
श्लोक
गणपति शिवगिरा,महावीर बजरंग l
विध्न रहित पूरण करहु, रघुवर कथा प्रसंग l l
श्लोक
तत्रेव गंगा यमुना त्रिवेणी ,गोदावरी सिंधु सरस्वतीच l
सर्वाणि तीर्थानि बसंति तत्र ,
यत्राच्तु तोदारि कथा प्रसंग : l l
।। सियावर रामचंद्र जी की जय ।।
रामचरितमानस पाठ के बाद रामायण विसर्जन के लिए आरती इस दूसरी पोस्ट में है।
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