सीता राम चरण रति मोरे पद का अर्थ|Sitaram Charan Rati More
“सीताराम चरन रति मोरे, निशिदिन बढ़हिं अनुग्रह तोरे!”
कठिन शब्दों के अर्थ
- सीता राम = माता सीता भगवान राम, अर्थात परमब्रह्म और उनकी शक्ति
- चरण = उनके उनके पद या पाँव
- रति = प्रेम
- निशि =रात
- दिन = दिन
- अनुग्रह =कृपा
सन्दर्भ एवं प्रसंग
बात तब की है जब राम जी वन गमन कर गए थे और अपने भैया को लौटाने भारत जी व्याकुल होकर उनके पीछे पीछे तीर्थराज प्रयाग तक पहुंच गए थे। वहां सबके स्नान के उपरांत उन्होंने भी त्रिवेणी संगम में स्नान किया और तीर्थराज प्रयाग से प्रार्थना की कि उनकी भक्ति भगवान श्री राम जी और मात सीता के चरणों में दिन रात बढती ही रहे। माना जाता है की कि तीर्थराज प्रयाग में स्नान करने के बाद सच्चे मन से मांगी गयी प्रार्थना अवश्य फलित होती है।
सीताराम चरन रति मोरे पद का अर्थ
भरत जी तीर्थराज प्रयाग से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे तीर्थराज आपकी कृपा से मेरी श्री सीताराम जी के चरणों में भक्ति रात और दिन बढ़ती रहे। यही मेरी आपसे प्रार्थना है।
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सीताराम चरन रति मोरे पद कीव्याख्या
“सीताराम चरन रति मोरे, निशिदिन बढ़हिं अनुग्रह तोरे!”- इस पद में भरत जी ने सीता और राम जी दोनों कि भक्ति मांगी है क्योंकि राम जी साक्षात् परमब्रह्म हैं और माता सीता उनकी कार्यकारिणी शक्ति। उनके संयोग से ही सारी सृष्टि का अस्तित्व है। दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य है कि उन्होंने उनके चरणों की भक्ति मांगी है। चरण चर धातु से बना है जिसक अर्थ चलने से होता है अब यदि किसी के आप यदि चरण पकड़ लेंगे तो जहाँ चरण होंगे वहां उन्हें स्थिर होना ही पड़ेगा। अगर आपके ह्रदय में भगवान के चरण होंगे तो वहां भगवान को टिकना ही पड़ेगा। इसीलिए भरत जी ने यहाँ सगुण रूप में परमब्रह्म(राम) और शक्ति( सीता) के चरणों में भक्ति मांगी। और यही नहीं भरत जी ने इस प्रेम को दिन -रात बढ़ने का आशीर्वाद माँगा। भगवान की भक्ति ही सब सुखों की खान है। अतः इससे उत्तम वर कोई हो ही नहीं सकता।
आपके लिए उपयोग
इस चौपाई को बार स्मरण करके बार-बार यदा-कदा भी दोहराने पर आपका मन शुद्ध होगा और भगवान के प्रति भक्ति बढ़ेगी। भरत जी प्रार्थना करने पर अवश्य ही प्रभु श्री राम जी की भक्ति प्राप्त होगी क्योंकि भरत स्वयं भक्ति का मूर्तिमान स्वरुप हैं।
FAQs -बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. सीताराम चरण रति मोरे किस कांड में है?
A.सीताराम चरण रति मोरे अयोध्या कांड में 204 वें दोहे के बाद पहले चौपाई का दूसरा पद है।
Q2.सीताराम चरण रति मोरे किसकी प्रार्थना है ?
A.सीताराम चरण रति मोरे भरत जी की तीर्थराज प्रयाग से की गयी प्रार्थना है।