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जासु नाम भव भेषज-अर्थ, व्याख्या व प्रयोग

जासु नाम भव भेषज हरण घोर त्रय शूल दोहे का अर्थ जासु नाम भव भेषज हरण घोर त्रय शूलसो कृपाल मोहिं तो पर सदा रहउँ अनुकूल ॥124 क॥ अर्थ: जिनका नाम ( राम ) ही जन्म …

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आगे नाथ न पीछे पगहा : Aage Nath Na Piche Pagha Ka Arth

उत्तर प्रदेश और बिहार में यह कहावत ‘आगे नाथ न पीछे पगहा‘ (Aage Nath Na Piche Pagha) अभी भी गावों में प्रयोग की जाती है। खासकर उन नौजवान बेफिक्रे युवाओं के लिए जो बिल्कुल स्वच्छंद हैं …

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साधु अवज्ञा का फल ऐसा-एक सत्यकथा

साधु अवज्ञा का फल ऐसा , जरै नगर अनाथ के जैसा विरक्त सन्यासी साधु की अवज्ञा या अवमानना करने का फल बड़ा ही भयानक होता है। श्री रामचिरतमानस में दी हुयी पंक्तियाँ, “साधु अवग्या कर फलु ऐसा। …

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गंगा जल का प्यासा प्रेत

गंगा जल और प्रेत की प्यास – बात पुराने समय की है गंगा , यमुना , सरस्वती के पावन संगम की नगरी, प्रयागराज से लगभग 5 कोस की दूरी पर एक ब्राह्मण रहता था। (पुराने समय …

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