कश्मीर को अफगानों के कब्जे से पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने स्वतंत्र किया था।
जामवाल वंश के गुलाब सिंह की प्रतिभा को देख महाराजा रणजीत सिंह ने गुलाब सिंह को उनके पुरखों की रियासत जम्मू का राजा बनाया था।
हिमाचल के रहने वाले जोरावर सिंह ,राजा गुलाब सिंह के कमांडर थे वो महाराजा रणजीत सिंह के सीधे कमांड में नही थे।
जब जोरावर सिंह ने राजा गुलाब सिंह के निर्देश पर लद्दाख ,गिलगित ,बाल्टिस्तान,तिब्बत पर हमला करना शुरू किया तो वो राजा गुलाब का खुद का निर्णय था और उसमें लाहौर दरबार का कोई योगदान नहीं था ना ही वहां से कोई आदेश ही था गुलाब सिंह को ।
महाराजा रणजीत सिंह और राजा गुलाब सिंह में आपसी सहमति थी की गुलाब सिंह के इस राज्य विस्तार से महाराजा रणजीत सिंह को कोई दिक्कत नही होगी पर डोगरा फौज की सफलता को देख महाराजा रणजीत सिंह द्वारा कश्मीर का गवर्नर बनाया गया सिख सूबेदार द्वेष से भर गया और राजा गुलाब सिंह के खिलाफ लद्दाख के राजा संग मिल षड्यंत्र करने लगा पर उसे सफलता नहीं मिली ।
महाराजा रणजीत सिंह जब तक जीवित रहे तब तक राजा गुलाब सिंह उनके आदेश पर मर मिटने को तैयार रहे परंतु महाराजा के मरते ही लाहौर राज्य बिखरने लगा ।रंजित सिंह के उत्तराधिकारी निकम्मे थे और वो गुलाब सिंह और उनके भाईयो की उपलब्धि को देख जलते थे ।गुलाब सिंह ने धीरे धीरे खुद को लाहौर से दूर कर लिया।
जब अंग्रेजी फौज की लड़ाई लाहौर की सेना से हुई तो अंग्रेजो को जीत मिली ।अंग्रेजो ने सिखों को युद्ध की छतिपूर्ति का भुगतान करने को बोला जिसमे वो असमर्थ थे ।युद्ध में हुई छतिपूर्ति का भुगतान सिखो की तरफ से राजा गुलाब सिंह ने अंग्रेजो को किया और बदले में उन्हें कश्मीर मिल गया।
इस तरह राजा गुलाब सिंह महाराजा बन गए।सिखो ने अपने राज्य के खत्म होने का सारा दोष गुलाब सिंह पर मढ दिया पर खुद के आपसी लड़ाई,ईर्ष्या ,द्वेष को दोष नही देते ।ये चाहते हैं की जिस गुलाब सिंह को ये बर्बाद करना चाहते थे वो बर्बाद नही हुआ और काफी सफलता मिली उन्हे तो इनके कुंठा को देख दूसरे भी गुलाब सिंह को गद्दार मान लें ।
इक तरफा कहानी स्वीकार नही की जाएगी । जितने भी सिख इतिहासकारों ने गुलाब सिंह को अपनी किताबो में जगह दी है हर जगह इनका द्वेष साफ साफ दिखता है तो इनको सीरियली लेना ही नही है ।आपको पूरी कहानी जाननी है तो डोगरा लोगो से पूछिए।
महाराजा रणजीत सिंह खुद अत्यंत ही लायक शासक थे और सही अर्थों में यदि गुणों को देख उनकी गद्दी का कोई अधिकारी था उनके बाद तो वो महाराजा गुलाब सिंह थे ।यदि ऐसा होता तो शायद अंग्रेज पंजाब में घुस नही पाते।
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