कबीर के दोहे भक्तों पर|Kabir Ke Dohe On Devotees
आरत कैय हरि भक्ति करु, सब कारज सिध होयेकरम जाल भव जाल मे, भक्त फंसे नहि कोये। Aarat kai Hari...
आरत कैय हरि भक्ति करु, सब कारज सिध होयेकरम जाल भव जाल मे, भक्त फंसे नहि कोये। Aarat kai Hari...
सिर राखे सिर जात है, सिर कटाये सिर होयेजैसे बाती दीप की कटि उजियारा होये। Sir rakhai sir jat hai,sir...
जो कोई करै सो स्वार्थी, अरस परस गुन देतबिन किये करै सो सूरमा, परमारथ के हेत। Jo koi karai so...
कागा काको धन हरै, कोयल काको देतमीठा शब्द सुनाये के , जग अपनो कर लेत। kaga kako dhan harai,koel kako...
अर्घ कपाले झूलता, सो दिन करले यादजठरा सेती राखिया, नाहि पुरुष कर बाद। Argh kapale jhulta,so din kar le yadJathra...