हिंदी दिवस की कवितायेँ-Hindi Diwas par Kavita Sangrah
हिंदी दिवस की आप सभी मित्रों को और पूरे देश को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। इस शुभ अवसर पर कविताओं का संकलन संग्रह आपके लिए प्रस्तुत कर है।
1. देव वाणी संस्कृत की प्यारी नंदनी
यह श्री राजेंद्र कोटनाला की स्वरचित मौलिक कविता है।
देव वाणी संस्कृत की प्यारी नंदनी !
सिंध से हिंदी हुई हिंदुस्तान में बंदनी!
गंगा है हिन्द की भाषाओं की वंधनी!
अभिनव सृजन की प्रिय अभिनंदनी !
खड़ी बोली लोकगीतों से रमी- सजी!
उर्दू भाषा की नूतन जननी तू बनी !
अंग्रेजी को भी तूने अपनी शरण दी!
विश्व में श्रुति- प्रिय गीतों की शल्वी बनी !
अरबी फारसी उर्दू की हार की डोरी!
शायरी की कलाकंद की शब्द भेरी !
मूल तू और तत्व दर्शन तेरी दिलेरी !
. हृदयों को बिपुल करती तेरी दिल्लगी!
प्रभाव तेरा नित प्रवाह बनता जा रहा!
विश्व राष्ट्र संघ में भी तेरा यश छा रहा !
विज्ञान भी नतमस्तक हुवा तेरे आगे!
शिक्षार्थी रमण करते देवनागरी लिपि में!
विश्व के मनुज तेरी शरण के आकांक्षी!
अध्ययन सब जगह हिंदी में होने लगा!
आस का पंछी मेरा मनदूर तक देखता!
हिन्द की हिंदी तिरंगा पूरे विश्व में फहराता!
स्वरचित मौलिक और अप्रकाशित
रचियता : राजेंद्र कोटनाला,देहरादून उत्तराखंड
2.हिंदी सरल, सहज, सुंदर हमारी राष्ट्र भाषा है
“हिंदी”
सरल, सहज, सुंदर
हमारी राष्ट्र भाषा है
मृदुल, मनोहर,मोहक
हमारी मातृभाषा है।
हिंद देश की भाषा हिंदी
भारतवासियों की आशा हिंदी
हिंदी भाषा को नमन है
जिससे महका,
ये भारत का चमन है।
अंलकारों, मात्राओं, वर्णों से,
सजी है हिंदी
मधुर वाद्य यंत्रों मे,
बजी है हिंदी।
बोलचाल में हिंदी के प्रयोग से
एक अपनापन छलकता है
कोमल इतने शब्द है, जिनसे
प्रेम व विश्वास झलकता है।
हिंदी भाषा से मान है
इसका, देवनागरी भी एक नाम है।
वेद, पुराण, कथा, ग्रंथ
सब हिंदी मे हैं
कविता, कहानी, शायरी,गीत
इसके माथे की बिंदी में हैं ।
सभी भाषाओं में,अग्रणी है
देश के विकास की, जननी है।
हिंदी से ही ये, हिंदुस्तान है
हिंदी से सजा हमारा, राष्ट्रगान है।
आओ!
हिंदी दिवस पर हम भी
हिंदी भाषा को ,अपनाते हैं
हिंदी के मीठे बोल बोलकर
सदैव सबके प्रिय ,बन जाते हैं।।
– मीनू अग्रवाल
(वाराणसी)
3.मैं हिंदी हूं
स्वलिखित –पूनम (कल्पना)
मैं हिंदी हूं।
मैं हिंदी हूं॥
मै शान हिंदुस्तान की।
मैं मान हिंदुस्तान की॥
मैं हिंदी हूं….
मुझमें बसती हैं सबकी जान ।
मैं हूं भारत का सम्मान॥
मैं हिंदी हूं…
सफर मेरा था, लंबा बड़ा।
संस्कृत– पाली –प्राकृत –अपभ्रंश –अवहट्ट से फिर आगे बढ़ा॥
मैं हिंदी हूं…
भारतीय संविधान के ,भाग –17 में मैं रहती हूं।
अनुच्छेद 343 से 351 तक.
मैं अपनी कहानी कहती हूं॥
मैं हिंदी हूं….
अरबी आए, फ़ारसी आए,
कुछ शब्द आए पुर्तगाल से,
चीनी आए , जापानी आए,
कुछ शब्द आए इंगलिशतान से।
मेरा दिल है बहुत बड़ा,
मैंने सबको ग्रहण किया
मैं हिंदी हूं….
मैं हिंदी हूं….
मैं शान हिन्दुस्तान की ।
मैं मान हिंदुस्तान की॥
रचयिता-कवि: सुश्री पूनम ‘कल्पना’
4. हिंदी वतन की शान है
स्वरचित व मौलिक रचना
रचनाकार :नूतन राय, नालासोपारा ,महाराष्ट्र
हिंदी वतन की शान है तुम नाज करो जी।
हम आपकी पहचान है अभिमान करो जी ॥
जिसने गुलाम आपको बरसो बनाया जी।
आप ना उस भाषा के गुलाम बनो जी ॥
कविता हूँ कवियो की पहचान हूँ मैं जी।
मैं काव्य हूँ संगीत हूँ सुर ताल हूँ मैं जी ॥
मुझको छिपा दिया किसी कोने में है तुमने।
मुझे कैद कर दिया बस किताबों में तुमने ॥
अंग्रेजी भाषा का गुनगान करते हो।
और अपनी मातृभाषा का अपमान करते हो ॥
मुझको गिला नही किसी भाषा से है कोई।
मैं आपका अस्तित्व हूँ ये याद रखो जी ॥
हिंदी वतन की शान है तुम नाज करो जी।
हम आपकी पहचान है अभिमान करो जी ॥
स्वरचित व मौलिक रचना
रचनाकार नूतन राय
5.हिंदी हमारी मातृभाषा है
सरल, सहज, सुंदर
हमारी राष्ट्र भाषा है
मृदुल, मनोहर,मोहक
हमारी मातृभाषा है।
हिंद देश की भाषा हिंदी
भारतवासियों की आशा हिंदी।
हिंदी भाषा को नमन है
जिससे महका,
ये भारत का चमन है।
अंलकारों, मात्राओं, वर्णों से,
सजी है हिंदी
मधुर वाद्य यंत्रों मे,
बजी है हिंदी।
बोलचाल में हिंदी के प्रयोग से
एक अपनापन छलकता है।
कोमल इतने शब्द है, जिनसे
प्रेम व विश्वास झलकता है।
हिंदी भाषा से मान है
इसका, देवनागरी भी एक नाम है।
वेद, पुराण, कथा, ग्रंथ
सब हिंदी मे हैं
कविता, कहानी, शायरी,गीत
इसके माथे की बिंदी में हैं ।
सभी भाषाओं में,अग्रणी है
देश के विकास की, जननी है।
हिंदी से ही ये, हिंदुस्तान है
हिंदी से सजा हमारा, राष्ट्रगान है।
आओ!
हिंदी दिवस पर हम भी
हिंदी भाषा को ,अपनाते हैं
हिंदी के मीठे बोल बोलकर
सदैव सबके प्रिय ,बन जाते हैं॥
6.हिंदी से हमें प्यार है
हिंदी जन भाषा हो अपनी,हिंदी से हमें प्यार है।
हिंदी के लिए तो सारा, ये जीवन निसार है।
हम भारत के वासी हैं सब, भाषा सबकी एक हो।
भाव सभी का हिंदी ही हो, शब्द चाहे अनेक हो।
एक सूत्र में बंधे हो हम सब, जैसे गले का हार है।
हिंदी है हम हिंदवासी, एक दूजे का प्राण हैं।
जान गँवादें इसकी खातिर, देते हम प्रमाण हैं।
आओ मिलकर गाएँ गाथा, भारत भू सिंगार है।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण, सबकी भाषा हिंदी हो।
मातृभाषा राजभाषा घोषित केवल हिंदी हो।
राष्ट्र प्रेम व राष्ट्र भक्ति की, बहती गंगा धार है।
आओ सब अपनाएं इसे ही, इसको शीश झुकाएँ हम।
विश्व पटल पर गौरव गाकर, इसका मान बढ़ाएँ हम।
आन बान और शान है ‘मन’ की, इसके बिन बेकार है।
हिंदी जन भाषा हो अपनी,हिंदी से हमें प्यार है।
बुद्धि प्रकाश महावर ‘मन’
दौसा, राजस्थान
7. हिंदी दिवस यही देवनागरी की तेजी
बोली में घुली मिश्री लेखन में अंग्रेजी
हिंदी दिवस यही देवनागरी की तेजी
संविधान से लिपटकर बन गई राजभाषा
कार्यालयों में क्यों यह अक्सर लगे तमाशा
विभाग गठित कर, देती है रोजी-रोटी
हिंदी दिवस यही देवनागरी की तेजी
चापलूस अधिकतर सम्मेलन की क्यारी
चाटुकारिता ही है अब हिंदी की लाचारी
वर्षों से हिंदी दिवस पर हिंदी सतेजी
हिंदी दिवस यही देवनागरी की तेजी
मोबाइल, कंप्यूटर पर लिपि रोमन दहाड़
देवनागरी में टाइपिंग सबको लगे पहाड़
लेखन में देवनागरी लिपि सतत निस्तेजी
हिंदी दिवस यही देवनागरी की तेजी
जिह्वा पर शब्द हिंदी राज्य शब्द मिलाएं
जब बोलें ठीक तो, शुद्ध हिंदी कहलाएं
लिपि देवनागरी प्रयोग क्यों भाषा भदेसी
हिंदी दिवस यही देवनागरी की तेजी ?
धीरेन्द्र सिंह
13.09.2023
8. हिंदी मेरी भाषा है
हिंदी मेरी भाषा है
मेरा इसका
जन्म जन्म का
नाता है ।
लिखूं पढूं बोलूं मैं हिंदी
बस यही मुझको
भाता है॥
हिंदी मेरी भाषा है
कितना सुंदर
साहित्य है इसका
सारी दुनिया को
लुभाता है।
बहुत बड़ी है हिंदी मेरी
सब भाषाओं की
माता है॥
हिंदी मेरी भाषा है
सरल सहज है
वर्तनी इसकी
बोलो मुख से तो
अमृत झर झर
जाता है ।
हिंदी मेरी भाषा है
सारी भाषाओं को
कर लेती आत्मसात
भेदभाव नहीं इसको
आता है॥
हिंदी मेरी भाषा है
उर्दू अंग्रेजी इतालवी
रूसी जापानी हो
फ्रेंच जर्मनी हो
कोई भी विश्व की भाषा
समा लेती है सबको
अपने अंतस में
इसे प्यार निभाना
आता है॥
हिंदी मेरी भाषा है
मानव मूल्यों को रचती
कोमल भावों की
करती अभिव्यक्ति
रीति भक्ति संस्कारों की
समाई है शक्ति
गागर में सागर भरना
यही तो इसको
आता है॥
हिंदी मेरी भाषा है
तिलक तुषार
9.हिंदी भाषा का मान
“हिंदी दिवस पर”
कांधे धरे हिंदी को अपने बिगुल यहीं बजाते हैं।
विश्व पटल पर छा जाए हिंदी पर्व सभी मनाते हैं॥
पश्चिम भाषा अंग्रेजी को बढ़ चढ़ यहाँ सिखाते हैं।
फिर अपनी भाषा हिंदी को मान कहाँ दिलवातें हैं॥
अलख जगा कर हिंदी का हम सबको बतलाते हैं।
भारत जननी ये भाषा मेरी भान यही करवाते हैं॥
है ऑफिस स्कूलों में भी हिंदी का कुछ मान बढ़ा।
कुछ शब्दों को लिखने से हिंदी का सम्मान बड़ा॥
कौन बढ़ाए कौन सिखाए भाषा अपनी प्यारी है।
घर-घर बोले जाने वाली हिंदी लगती यह न्यारी है॥
हिंदी की पीड़ा का बीड़ा हमें उठाना अब तो होगा।
विश्व पटल के सिंहासन पर हिंदी को बैठाना होगा॥
राजेश श्रीवास्तव राज़
10.हाँ, मैं हिंदी भाषी हूँ
हाँ,मैं हिंदी भाषी हूँ
मैं हिंदुस्तान की वासी हूँ।
माँ भारती के मस्तक की बिंदी
अभिमान मेरा मेरी हिंदी,
रस छंद और अलंकारों का
कविता,गीतों का नाम हिंदी।
भाषा के मनके अलग अलग
एक सूत्र पिरोती है हिंदी,
भाषाओं के इस गुलदस्ते का
सबसे सुंदर फूल हिन्दी।
पर दुख होता यह कहने में
दोयम उसका अब भी स्थान,
दर्जा पाया राष्ट्र भाषा का
क्या सचमें मिला उसे वह मान?
जिस भाषा ने रखा गुलाम
क्यों आज उसे समझते शान।
सच बोलो हे भारतवासी
क्या अब भी सोया स्वाभिमान?
हर दिन हो हिंदी दिवस यहाँ
निज भाषा को दें पूरा सम्मान,
बोलें गर्व से हम सब मिलकर
जय हिंदी, हिंदू , हिन्दुस्तान।।
-सुमन पंत’सुरभि’
11. हमारी मां हिन्दी
मां सा दुलार समेटे हिंदी अपने आंचल में
आज भी समेटे
पिता सी आत्मबल देती हमें हिंदी भाषा
आज भी हमें
भावों एहसासों का अथाह सागर समेटे
खुद में हिंदी
प्रेम प्रतीति के आत्मीय भावों को लिबास में
समेटे आज भी हिंदी
मां का ममत्व अपनत्व लिए आज भी भाव
भाव परोसती है हिंदी
अध्यात्म की भूमि पर राम नाम का बीज बोती
हमारी मां हिन्दी आज भी
प्रेम सम्बोधन और इश्क का इजहार है
आज भी हमारी हिन्दी
क से ज्ञ तक में सारा संसार समेटे खुद में
हमारी मां हिन्दी
आज माना वो तिरस्कृत है समाज में पर दर्द में
आज भी मां ही कहते हैं हम
रक्तरंजित लहूलुहान है आज हमारी मां आओ ना
अपनाकर उसे जीवन मरहम लगाए
अपने युवाओं को गौरवान्वित महसूस कराए आओ
उन्हें हिंदी से मिलवाएं
किरन
12.हिंदी हम सब की भाषा है
हिंदी हम सब की भाषा है,
माँ भारती की परिभाषा है ।
संस्कृत की प्यारी बिटिया है,
जन-जन के मन की आशा है॥
यह शहद घोलती कानों में,
भावों में बन रसधार बहे ।
जब छन्दों और कविता में,
ढ़ल, हिंदी मन की बात कहे॥
हर धड़कन में बहती हिंदी,
हर श्वासों में रहती हिंदी ।
हृदयासन पर आसीन सदा,
हम सबके मस्तक की बिंदी॥
माना कि अलग अलग अपनी
सब प्रांतों की भाषाएं है ।
पर जोडे़ सबको आपस में,
यह हिंदी से आशाएं हैं ॥
सरगम से मीठे स्वर इसके,
रिश्तों के सुंदर नाम सजे ।
भरते सब में अपनत्व सहज,
ज्यों मनवीणा के तार बजे ॥
इसका दिल विस्तृत सागर सा,
सबको अपना कर लेता है।
अंग्रेजी,फारसी या उर्दू
सबको अंक में भर लेता है॥
सीखें भाषाएं कितनी ही पर
निज भाषा सम्मान करें ।
माँ सी ममतामयी हिंदी का
हम जीवन में व्यवहार करें ॥
अपनी पहिचान यही हिंदी,
न कोई एक दिवस इसका।
हर दिन ही है प्रिय हिंदी का ,
न कोई जोड़ कहीं इसका ॥
13.माथे पर बिंदी है हिंदी
शब्दों का भंडार , है हिंदी
हर लेखक का प्यार , है हिंदी
संस्कृति का श्रृंगार , है ऐसे –
जैसे सोहे , माथे पर बिंदी
हर भाव , हर प्रयास में हिंदी ,
जीवन के हर , उल्लास में हिंदी।
बसी जन – जन के , मन में हिंदी ,
भारत का , विकास है हिंदी ,
शब्दों पर , इतरायी हिंदी,
कविता में , लहरायी हिंदी,
सबको समझ में , आयी हिंदी,
तभी तो हमको , भायी हिंदी।
देश की शान , है हिंदी
हमारी पहचान , है हिंदी
गर्व से सब , बोले हिंदी
हर भारतीय की जान , है हिंदी ।
©अलका बलूनी पंत
हिंदी दिवस पर कुछ लघु कवितायेँ :Hindi Divas Laghu Kavitayein
1.हिंदी भाषा के माथे की चंद्र बिंदी
“तुम्हारी भावनाओं को बखूबी व्यक्त करती हूँ…
पिरों कर देखो मेरे शब्दों को कुछ अलग ढंग से…॥
कभी कविता ,कभी शायरी, कभी लफ्जों की मोती हूँ…
हर भाषा के माथे की चंद्रबिंदु हूँ हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ…॥
2.हिंदी संस्कृत के गर्भ से जन्मी
संस्कृत के गर्भ से जन्मी,
वेद ऋचाओं में पली बढ़ी
सप्त स्वर के…
हर सूर, ताल, लय में समाई
अवनी से अंबर तक…
हर धड़कनों की वाणी बन मुस्कुराई
हिंदी दिवस के शुभअवसर पर
देती मै आज सभी को लख-लख बधाई।
मनीषा मारू…..नेपाल
हिंदी दिवस पर लघु उक्तियाँ
हिंदी दिवस लघु उक्ति-१
संसद से लेकर सड़कों तक,
बस नारा ही शेष मिला।
हिंदी दिवस मनाना है,
अंग्रेजी में आदेश मिला॥
हिंदी दिवस लघु उक्ति-२
सलवार सूट पर मुझे
उसकी छोटी सी बिंदी पसंद है…
हाँ मुझे अंग्रेजी से ज्यादा हिंदी पसंद है..-इंदर मोहन सिंह
हिंदी दिवस लघु उक्ति-३
इस बेमिसाल लिपि
का कोई जोड़ नहीं है,
तर्क हिंदी में दो तो
उसका कोई तोड़ नहीं है।
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