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साम दाम दंड भेद का अर्थ | Saam Daam Dand Bhed Meaning

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आधुनिक समय में साम दाम दंड भेद का अर्थ ( Saam Daam Dand Bhed Meaning ) है ‘किसी भी प्रकार से काम करवाना या काम निकलवाना।’ भले ही उसे किसी भी माध्यम से किया जाय। यद्यपि हमारे शास्त्रों में इसकी विस्तृत व्याख्या है और साम दाम दंड भेद चार प्रकार की नीतियाँ हैं जिन्हे रानजीतिक आवश्यकता अनुसार प्रयोग किया जाता है। श्री रामचरितमानस में एक पद कहा गया है :-

साम दाम दंड भेद का अर्थ

साम दाम अरु दंड बिभेदा। नृप उर बसहिं नाथ कह बेदा॥

अर्थ : समझा कर या सम्मान देकर (साम-Saam) अपने अनुकूल करना, मूल्य अर्थात धन देकर (दाम-Daam) , सजा देकर या पीड़ित करके (दंड-Dand), फूट डालकर व रहस्य जानकर (भेद-Bhed) ये चार राज-काज चलाने की नीतियां हैं। वेदों के अनुसार ये सभी एक राजा के हृदय में सदैव ही विराजमान होती है।

Saam Daam Dand Bhed Meaning in English

Meaning: The four governing principles of Politics are: Saam, which means making someone an ally by explaining or showing them some respect; Daam, which means to give some price /giving money; Dand, which means to punish or hurting; Bhed, which means to discover the secret or creating rift amongst enemies. The Vedas say that a king always follows all these principles by heart as these are deeply ingrained within him.


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शब्दों का अर्थ – Saam Daam Dand Bhed Meaning in Hindi

अर्थ : राज-काज चलाने के लिए ये चार नीतियां बताई गयी हैं।यहाँ पर चार शब्द प्रयोग किये गए हैं साम , दाम दंड भेद। आइये इनका एक-एक करके अर्थ समझते हैं।

  • साम (By Convincing someone to become your supporter) ‘साम’ अर्थात ‘समता’ से अर्थ यह है कि किसी को समझाने-बुझाने से या सम्मान दे कर,स्तुति करके कोई समस्या सुलझाई जाय। जैसे प्रभु श्री राम ने सुग्रीव जी को मित्र बनाकर उनकी सहायता की थी।
  • दाम (By Paying Money) जब किसी को धन दे कर कोई कार्य कराया जाय तो इस नीति को दाम कहा जाता है।
  • दंड (By Punishment) जब कोई कार्य साम और दाम से भी न हो तो उसे दंड अर्थात दण्डित करके , सजा देकर सुलझाया जाता है।
  • भेद (By Creating Divide) शत्रु पक्ष के बीच में फूट डलवाना और उसके रहस्य जानकार शत्रु का नाश करना भेद नीति के अंतर्गत आता है।
    • भेद का अर्थ है – शत्रु के रहस्य जानकार उसका अपने लाभ और शत्रु के हानि के लिए प्रयोग करना।
    • भेद का एक और अर्थ है -फूट डालना।कभी-कभी अगर शत्रु पक्ष में यदि कई लोग हों तो उनके अंदर मतभेद भी पैदा किया जाता है। यह नीति कई बार मनोवांछित सफलता प्रदान करती है।

उपरोक्त चारो नीतियां अलग अलग, कुछेक साथ में या सारी एक साथ में भी प्रयुक्त होती हैं। हालाँकि यह नीतियां वेद में लिखी हैं परन्तु यह सभी आज भी प्रयुक्त होती हैं और सफल हैं। राजा के लिए उचित है कि जहाँ जैसे आवश्यकता है वैसे ही धर्मरक्षा के लिए प्रयोग करें।

साम दाम दंड भेद का रामायण में उल्लेख

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरितमानस में एक दोहा आता है

साम दाम अरू दंड विभेदा, नृप उर बसहिं नाथ कह बेदा

यह प्रसंग तब का है जब अंगद रावण के दरबार से उसका मान मर्दन करके आये थे। रावण के दरबार में अपना पाँव पृथ्वी में जमाया तो वहां कोई उनका पाँव हिला न पाया। अंगद का पाँव बलपूर्वक जमाते ही धरती हिलने लगी कर रावण का राजसिंहासन डोलने लगा और इससे उसके चार सिरों से मुकुट गिर पड़े। अंगद ने उन मुकुटों को उठा कर फेंक दिया जो प्रभु श्री राम के चरणों में जा कर गिरे। उन्ही के बारे में प्रभु ने अंगद से पुछा कि ये मुकुट तुमने कैसे प्राप्त किये। प्रभु सर्वज्ञ थे परन्तु अंगद जी की बड़ाई करने के उद्देश्य से उन्होंने यह प्रश्न पूछा।

परन्तु अंगद एक सच्चे भगवद भक्त थे और जानते थे की प्रशंसा से अहंकार उत्पन्न होगा अतः बड़ी चतुराई से उन्होंने भगवान को इस प्रकार उत्तर दिया ताकि प्रभु की बड़ाई हो और कहीं भूल से भी उनका खुद का मान न हो जाए।

मुख्य पद- साम दान अरु दंड बिभेदा

साम दान अरु दंड बिभेदा। नृप उर बसहिं नाथ कह बेदा॥
नीति धर्म के चरन सुहाए। अस जियँ जानि पहिं आए॥5॥

अर्थ : (अंगद कहते हैं कि हे प्रभु !) वेदों के अनुसार साम , दाम, दंड और भेद ये राजा में बसने वाली राज काज चलने वाली चार सुन्दर नीतियां हैं। ये चार मुकुट वही चार गुण हैं। चूंकि रावण में धर्म बुद्धि का आभाव हो गया है। इसलिए ये उसके चारो गुण उसे छोड़कर आपके पास आ गए हैं। (क्योँकि आप ही सबके एकमात्र आश्रय हैं।)

Meaning: (Angad says, O Lord!) According to the Vedas, the four magnificent policies of the king to conduct the royal duties are Saam, Daam, Dand, and Bheda. These four crowns(of Ravan) represent the same four attributes. As Ravana has lost his insight of righteousness, that’s why all four of these traits have left him and come to you. (Because you are everyone’s last hope.)

एक पद पहले का चौपाई

तासु मुकुट तुम्ह चारि चलाए। कहहु तात कवनी बिधि पाए॥
सुनु सर्बग्य प्रनत सुखकारी। मुकुट न होहिं भूप न गुन चारी॥4॥

अर्थ: (प्रभु श्री राम ने अंगद से पूछा) हे अंगद ! तुमने उसके (रावण के) चार मुकुट तुमने फेंके। हे तात (प्रिय वत्स)! बताओ, तुमने उन मुकुटों को कैसे प्राप्त किया। (तब अंगद ने कहा-) हे सर्वज्ञ( सब कुछ जानने वाले)! हे शरणागत को सुख देने वाले प्रभु! वह मुकुट न होकर राजा के चार गुण हैं।

अगला दोहा

धर्महीन प्रभु पद बिमुख काल बिबस दससीस।
तेहि परिहरि गुन आए सुनहु कोसलाधीस॥38 क॥

अर्थ:  दशशीश (दस सिरों वाला)रावण धर्म से हीन हो गया है, आप प्रभु के चरणों से दूर और काल के वश में है। इसलिए हे कोशलराज! सुनिए, वे गुण रावण का त्याग कर आपके पास आ गए हैं॥ 38 (क)॥

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