प्रस्तुत दोहा कबीर दास जी ने ऐसे लोगों के बारे में लिखा है जो जो थोड़े से पद, मान सम्मान ,बड़ाई पाके खुद को दुनिया से ऊपर समझने लगते हैं और बाकी लोगों को कमतर समझने लगते हैं। ऐसे घमंडी लोगों के लिए है यह दोहा व्यंग के रूप में कहा गया है – ‘ बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर (Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor) ‘ । पूरा दोहा इस प्रकार है;
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लगे अति दूर ।।
Bada hua to kya hua Jaise ped khajur।
Panthi ko Chhaya nahi Fal Laage ati door ।।
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर का अर्थ : Bada Hua To Kya Hua Jaise Ped Khajoor
अर्थ: ऐसे बड़े होने का कोई फायदा नहीं जब व्यक्ति दूसरों के काम न आ सके। जैसे खजूर का पेड़- जो बहुत ऊँचा तो हो जाता है, लेकिन उसकी छाया के नीचे व्यक्ति बैठ भी नहीं पाता (अत्यधिक ऊँचे हो जाने से उसकी छाया बहुत छोटी होकर जमीन पर पड़ती है, जो यात्री को धूप से बचने के लिए पर्याप्त नहीं होती।) और फल भी नहीं खा पाता क्योंकि खजूर के फल बहुत छोटे-छोटे और पेड़ के बहुत ऊपर लगते हैं। अगर कोई भूखा हो तो बिना उचित साधन के इन फलों को तोड़ने का प्रयास भी जोखिम भरा है। इस प्रकार बहुत बड़ा होने पर भी खजूर के पेड़ सबके लिए लाभकारी नहीं हो पाता। इस प्रकार अगर किसी व्यक्ति के अंदर यदि दूसरों की सहायता करने का भाव न हो तो उसके बहुत बड़े हो जाने का भी कोई लाभ नहीं।
Meaning: Even if someone attains a big stature in society , it may be of little help to society if the growth of that person is similar to that of a Palm Tree. Because the Plam tree grows very tall. However, because of its height, the shadow it casts is very small and falls to the ground, leaving the traveller with insufficient room to seek shade from the sun. Additionally, dates produce very tiny fruits that are found on the tree’s top. Even attempting to pick these fruits without the right equipment is dangerous if one is hungry.
दोहे का सार
इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति समाज में भले ही रुपये पैसे, पद, मान, प्रतिष्ठा से बहुत बड़ा हो जाय परन्तु समाज के उपकार के लिए कोई कार्य न करे तो ऐसे व्यक्ति की बड़ाई से कोई फायदा नहीं है।
बड़ा हुआ तो क्या हुआ दोहे का वाक्य प्रयोग
रोहिल शहर में जाकर बहुत बड़ा व्यापारी बन गया , पर फिर कभी उसे पलट के गाँव की तरफ वापस नहीं देखा। कभी किसी का भला नहीं किया। यह देखके यही कहावत याद आती है की बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर ।
आगे संत कबीर का बबूल के पेड़ पर भी दोहा जानिए।
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