तुलसीदास के दोहे-6: संगति का असर
संगति शब्द ही दो शब्दों से मिलकर बना है सम अर्थात बराबर , गति अर्थात परिणति या परिणाम। इसका सीधा सा अर्थ है की जिस संगति में , जिस तरह के लोगों के साथ आप रहते …
तुलसीदास के दोहे-6: संगति का असर Read MoreBringing you closer to Hindu Indian roots
संगति शब्द ही दो शब्दों से मिलकर बना है सम अर्थात बराबर , गति अर्थात परिणति या परिणाम। इसका सीधा सा अर्थ है की जिस संगति में , जिस तरह के लोगों के साथ आप रहते …
तुलसीदास के दोहे-6: संगति का असर Read Moreबन बहु विशम मोह मद माना।नदी कुतर्क भयंकर नाना। मोह घमंड और प्रतिश्ठा बीहर जंगल और कुतर्क भयावह नदि हैं। बड अधिकार दच्छ जब पावा।अति अभिमानु हृदय तब आबा।नहि कोउ अस जनमा जग माहीं।प्रभुता पाई जाहि …
तुलसीदास के दोहे-5-अहंकार Read Moreबंदउ गुरू पद कंज कृपा सिंधु नर रूप हरिमहामोह तम पुंज जासु बचन रवि कर निकर ।गुरू कृपा के सागर मानव रूप में भगवान है जिनके वचन माया मोह के घने अंधकार का विनाश करने हेतु …
तुलसीदास के दोहे-4: गुरू महिमा Read Moreमूक होई बाचाल पंगु चढई गिरिवर गहनजासु कृपा सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन ।ईश्वर कृपा से गूंगा अत्यधिक बोलने बाला और लंगडा भी उॅचे दुर्गम पहाड पर चढने लायक हो जाता है। ईश्वर कलियुग …
तुलसीदास के दोहे-3: ईश्वर भक्ति Read Moreसेवक सुमिरत नामु सप्रीती।बिनु श्रम प्रवल मोह दलु जीती।फिरत सनेहॅ मगन सुख अपने।नाम प्रसाद सोच नहि सपने। भक्त प्रेमपूर्वक नाम के सुमिरण से बिना परिश्रम मोह माया की प्रवल सेना को जीत लेता है और प्रभु …
तुलसीदास के दोहे-2: सुमिरन Read More