Sankata Mata Mandir|माता संकठा मंदिर वाराणसी-एक परिचय
माता संकठा जी का स्थान शक्ति दात्री के रूप में है। माना जाता है कि मां काशीवासियों को शक्ति प्रदान करती हैं। इनके दर्शन-पूजन करने वालों को कभी भय नहीं सताता।
माता संकठा मंदिर वाराणसी -एक संक्षिप्त परिचय
वाराणसी या काशी को यूँ ही मोक्ष की नगरी नहीं कहा जाता है। यहां पर ऐसे-ऐसे सिद्धपीठ है। माँ संकठा देवी मंदिर काशी में पूरे शहर में सबसे शक्तिशाली मंदिरों में से एक के रूप में जाना जाता है जहां पर दर्शन करने से भक्तों के सारे दु:ख खत्म हो जाते हैं। मणिकर्णिका घाट पर खुद भगवान शिव भक्तों को तारण मंत्र देकर जन्मों के बंधन से मुक्त करते हैं। यहीं से कुछ दूरी पर माँ संकटा का मंदिर है, जहां पर दर्शन करने से जीवन में आने वाले सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।
महादेव जहां काशी में ज्ञान से लेकर आत्म दर्शन के केन्द्र हैं वहीं माता संकठा जी का स्थान शक्तिदात्री के रूप में है। माना जाता है कि माँ काशीवासियों को शक्ति प्रदान करती हैं। इनके दर्शन-पूजन करने वालों को कभी भय नहीं सताता। माँ के इसी महात्म्य का प्रभाव है कि हर समय भक्त दर्शन-पूजन के लिए इनके दरबार में पहुंचते रहते हैं।
संकठा माता मंदिर का पौराणिक इतिहास-Sankata Mata Mandir Pauranik History
जब माता सती ने आत्मदाह किया था तो भगवान शिव बहुत व्याकुल हो गए थे। तब भगवान शिव ने स्वयं माता संकठा की पूजा-आराधना की थी। तत्पश्चात भगवान शिव की व्याकुलता दूर हो गयी थी और उन्हें माता पार्वती का साथ पुनः प्राप्त हुआ था।
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मान्यता के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पाण्डव जब काशी में आये तो संकठा जी का दर्शन-पूजन किया और करीब एक वर्ष तक यहां रूके। माँ संकठा के दर्शन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सारी मनोकामना पूरी होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पांडवों जब अज्ञातवास में थे तो उस समय वह आनंद वन (काशी को पहले आनंद वन भी कहते थे) आये थे और माँ संकटा की भव्य प्रतिमा स्थापित कर बिना अन्न-जल ग्रहण किये ही एक पैर पर खड़े होकर पांचों भाईयों ने पूजा की थी। इसके बाद माँ संकटा प्रकट हुई और आशीर्वाद दिया कि गो माता की सेवा करने पर उन्हें लक्ष्मी व वैभव की प्राप्ति होगी। पांडवों के सारे संकट दूर हो जायेंगे। इसके बाद महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों को पराजित किया था। मंदिर में दर्शन करने के बाद भक्त गो माता का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं।
माता संकठा देवी मंदिर का विशेष दर्शन एवं प्रसाद- Special Darshan and Prasad of Sankata Mata
शुक्रवार को यहां पर दर्शन करने के लिए दूर-दराज से भक्त आते हैं माँ संकटा सिद्धपीठ में जो भी भक्त सच्चे मन से माँ को याद करते हुए उनकी पूजा करता है उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं।
माँ संकटा देवी को नारियल व चुनरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है जिससे माँ प्रसन्न हो जाती है। यहां पर चढ़ाये हुए नारियल का स्वाद भी बेहद अलग होता है। प्रसाद ग्रहण करते ही समझ मैं आ जाता है कि किसी सिद्धपीठ का दर्शन किया है।


संकठा माता मन्दिर की भव्यता-मनोहारी प्रांगण- Sankata Mata Temple Premises
इस बड़े से मंदिर परिसर में माँ की करीब पांच फीट ऊँची दिव्य मूर्ति एक कोने में स्थापित है। इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से भिन्न है। मंदिर में प्रवेश के लिए बड़ा सा भव्य द्वार है। जिससे भीतर प्रवेश करते ही काफी लम्बा-चौड़ा सा आंगन है जिसके मध्य में एक विशालकाय पीपल का पेड़ है। इस पीपल के पेड़ के चारों ओर चबूतरा बनाया गया है। वहीं, आंगन के चारो ओर बरामदा है। जिसमें भक्तगण अनुष्ठान हवन साहित अन्य धार्मिक कार्य करते हैं।


शुक्रवार को दर्शन का विशेष दिन-Special Darshan of Sankata Mata on Friday
वैसे तो हर दिन भक्तों भीड़ लगी रहती है माता के दरबार में लेकिन सप्ताह के प्रत्येक शुक्रवार को संकठा माँ के दर्शन-पूजन के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। कहा जाता है कि शुक्रवार को माँ संकठा के दर्शन करने से तुरन्त फल की प्राप्ति होती है।


मां संकठा का भव्य वार्षिकी शृंगार- Sankata Mata Annual Festival
पौष महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को माँ का अन्नकूट शृंगार किया जाता है। इस मौके पर कई प्रकार के व्यंजन माँ को अर्पित किये जाते हैं। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को संकठा मां का वार्षिक श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान माँ को बेहद आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। जबकि रक्षाबंधन वाले दिन माँ का जल विहार होता है। इस दौरान माँ के चरणों को जल से डुबा दिया जाता है।


श्री संकठा माता मंदिर के दर्शन का समय- Sankata Mata Temple Timings
माता के भक्तों के लिए यह मंदिर भोर में साढ़े 4 बजे खुलता है जो दोपहर 1 बजे तक खुला रहता है। फिर सांय 3 बजे मंदिर पुनः खुलता जो रात 12 बजे तक खुला रहता है। हालांकि मंदिर बीच में भी 2 घण्टे बंद भी रहता है। माँ की आरती सुबह साढ़े 6 बजे एवं रात 10 बजे होती है।
दर्शनार्थियों के निमित्त सूचना
श्री संकठा माता मंदिर पहुंचने का मार्ग-How to Reach Sankata Mata Temple
संकठा जी का यह मंदिर सिन्धिया घाट के पास स्थित है। कैन्ट रेलवे स्टेशन से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर की लोकप्रियता भक्तों में बहुत है। कैंट रेलवे स्टेशन से यहाँ अपने निजी यातायात कार, बाइक इत्यादि से सीधे पहुँच सकते हैं। शेयर्ड ऑटोरिक्शा भी आपको गोदौलिया तक पहुंचा सकते हैं। वहां से आगे आप पैदल या साइकिल रिक्शा के द्वारा मंदिर तक आ सकते हैं।






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Maa Sankatha Devi Temple Varanasi -Link to Exact Google Map Location
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