भरतपुर में स्थित बयाना दुर्ग, जहां मेवाड़ के महाराणा सांगा ने बाबर की फौज को परास्त किया था
बहुत सारी ऐतिहासिक खूबियां समेटे हुए यह दुर्ग आज उपेक्षा का शिकार है ।क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा है यह किला, राजपूताने का पहला शाका(जौहर )भी इसी दुर्ग ने झेला, राजस्थान का प्रथम विजय स्तम्भ (Victory Tower )भी इसी किले में है ।आज उपेक्षित सा चुपचाप खडा यह दुर्ग बहुत सारी ऐतिहासिक घटनाक्रम का मूक साक्षी है ।श्रीकांत शर्मा
मार्च,1527 मे खानुआ (रूपवास, भरतपुर) युद्ध से पहले ये घटना हुई थी इतिहास के अनुसार इस युद्ध में ना राणा जी शामिल हुए थे ना बाबर , परंतु कहा जाता है की राणा जी की सेना ने वो रौद्र रूप दिखाया था की आगे कभी भी राणा जी से युद्ध ना करने की कसम खाई थी बाद में बाबर ने जेहाद का रूप दे कर खानूआ युद्ध कराया था|

आठवीं सदी से ही भारत पर मुस्लिम आक्रमण शुरू हो गये थे इसी श्रृंखला में अफगान शासक मसूद शाह द्वितीय के सेनापति अबूबकर ने बयाना पर 1046 या 1076 ई में आक्रमण किया उस समय बयाना का शासक विजयपाल था ।यह लड़ाई बयाना किले के उत्तर में स्थित कनाबर नामक स्थान पर हुई ।कनाबर आज वर्तमान बयाना शहर के पश्चिम में 6किमी दूर एक गांव है।इस लड़ाई में विजयपाल की जीत हुई परन्तु एक गलतफहमी के कारण किले मे स्थित 360 रानियों ने जौहर कर लिया । प्राचीन एवं मध्यकाल के प्रसिद्ध इस दुर्ग पर अधिक लिखा नहीं गया ।अतः अधिक जानकारी प्राप्त नहीं है

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