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काशी का गोपाल मंदिर

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काशी(वाराणसी) का गोपाल मंदिर

काशी मतलब की मंदिरों का शहर। उसमे भी भोले नाथ की नगरी , लेकिन यहां सिर्फ भोले नाथ नही बल्कि श्री कृष्ण माधव भी है।  जहाँ बाबा के बड़े-बड़े मन्दिर है वही चौखम्बा के गोपाल मंदिर की भी महिमा कम नही हैं । इस मंदिर का स्वर्णिम इतिहास रहा है।

गोपाल मंदिर कहाँ स्थित है?

यह मंदिर बनारस (वाराणसी या काशी) के चौखम्बा नामक क्षेत्र में स्थित है। बनारस का ह्रदय कहे जाने वाले पक्के मोहाल में इतने भव्य और विशाल मंदिर का होना कौतुहल उत्पन्न करता है। घनी बस्ती होने के कारण पक्के मोहाल में दोपहर की धूप भी धरती पर मुश्किल से पहुंचती है। ऐसे में इस जगह गोपाल मंदिर एक अनूठी संरचना है।

शुद्धता का अत्यधिक ध्यान

यहाँ एक बार भगवान को चढ़ाया हुआ वस्त्र दुबारा नहीं पहनाया जाता। शुद्धता का ख्याल इतना रखा जाता है कि गोपाल जी को चढाने वाले प्रसाद के लिए, मन्दिर में ही गाय पाली जाती है ,मन्दिर में ही प्रसाद बनता है और गोपाल जी को चढ़ता हैं।

भगवान श्री कृष्ण के दो रूपों का दर्शन

यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण के दो रूपों का दर्शन होता है। एक रूप में गोपाल जी और दूसरे रूप में मुकुंद लाल की मोहक छवि मन को मोह लेती है।

गोपाल मंदिर का इतिहास

इतिहास है कि, गोपाल जी और राधिका जी के विग्रह की आराधना बहुत पहले उदयपुर के राणा वंश की लाढ बाई नामक महिला करती थीं। उन महिला से श्रीमद वल्लभाचार्य जी के चतुर्थ पौत्र गोस्वामी श्री गोकुलनाथ जी ने गोपाल जी और राधिका जी के विग्रह प्राप्त कर, उनकी सेवा आराधना प्रारम्भ की और वंशानुक्रम से आज भी उनके वंशज प्रभु की सेवा में लगे हुए हैं।

गोस्वामी श्री जीवन लाल जी गोपाल जी की इस अलौकिक मूर्ति को काशी लाये और सं १७८७ ईस्वी में इसकी स्थापना की। मंदिर को जो वर्तमान स्वरुप है, उसका निर्माण भी सन १८३४ ईस्वी में गोस्वामी श्री जीवन लाल जी ने ही कराई । इसी वजह से मंदिर को जीवन लाल जी की हवेली भी कहते हैं |

श्री गोपाल जी के मंदिर के बगल में ही श्री मुकुंद लाल जी का भी मंदिर है, जिसका निर्माण सं १८९८ में किया गया। श्री मुकुंद लाल जी मनोहर बाल रूप में हैं । प्रभु के बालपन रूप में ही कितने भक्तो का ह्रदय रमता है।

गोपाल मंदिर की वाटिका विनयपत्रिका की रचना

मंदिर के ठीक पीछे एक मनोहर उद्यान है। इसी वाटिका में बैठकर गोस्वामी श्री तुलसीदास जी ने विनयपत्रिका की रचना की थी । इसी वाटिका में महात्मा नन्ददास ने भी साधना की थी।

गोपाल मंदिर के उत्सव व सांस्कृतिक कार्यक्रम

हर वर्ष इस उद्यान में गोपाल जी का होलिकोत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर वाटिका को अत्यंत आकर्षक ढंग से सजाकर फूलों और गुलाल से होली खेली जाती है। भक्ति संगीत और होली गीत भी गाये जाते हैं ।जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर में भव्य सजावट होती है ।

गोपाल मंदिर में दर्शन,आरती का समय

इस मंदिर में दर्शन का समय बहुत छोटा और सीमित है। प्रातः काल में मंगला , श्रृंगार, पालन और राजभोग का दर्शन होता है और शाम को भोग उत्थापन आरती अवं शयन आरती के दौरान मंदिर का पट खुलता है । पट खुलने के लगभग १५ मिनट के भीतर उसे बंद कर दिया जाता है।

मंदिर के अन्य आकर्षण

मंदिर परिसर में प्राचीन सात कुंएं भी हैं जिन्हे पहले सप्त कुण्डी कहा जाता था। मंदिर में मुरलीधर पुस्तकालय और वाचनालय भी है ।

वर्तमान समय में मंदिर के मुख्य महंत श्री श्याम मनोहर जी हैं ।

Google Map Location for Gopal Mandir

https://goo.gl/maps/k8GR29qECmx5ogow9

References:

पाण्डेय नितेश बनारसी(रद्दी शायर)

http://kashikatha.com/gopal-mandir-varanasi/

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