पूर्णपात्र क्या होता है ?
पुराणों में वर्णित द्रव्य मापने की एक मात्रा है ‘ पूर्णपात्र’ । उसी का विवरण यहाँ दे रहा हूँ ।
8 मुट्ठी को ‘किञ्चित’ कहते हैं ।
8 किञ्चित का 1 ‘पुष्कल’ होता है
और 4 पुष्कल का एक ‘पूर्णपात्र’ होता है
इस प्रकार 256 मुट्ठी का एक पूर्णपात्र होता है ।
यह इकाईयां समान्यतः अन्न इत्यादि देने , क्रय विक्रय , दान इत्यादि में प्रयुक्त होती थीं ।
पूर्णपात्र वह घड़ा होता था जो प्राचीन काल में चावलो से भरकर होम या यज्ञ के अन्त में दक्षिणा के रूप में पुरोहित को दिया जाता था। इसमें 256 मुट्ठी चावल हुआ करता था।
मुट्ठी उतना होता है जितना अन्न आपके एक मुट्ठी में आ जाय। अतः इस विनिमय में एक ही व्यक्ति मापने का कार्य करता था ताकि भिन्न-भिन्न लोगों को देने में ज्यादा अंतर न आ जाय।
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1 मुट्ठी चावल 128 ग्राम के बराबर होता है ( स्त्रोत )
इस हिसाब से 1 पूर्ण पात्र =256×128=32768 ग्राम या 32.768 किलो।
हिंदी अंकों में : १ पूर्ण पात्र =२५६x १२८= ३२७६८ ग्राम् या ३२.७६८ किलो।
इस तरह से एक पूर्ण पात्र काफी बड़ी मात्रा का अन्न होता था जो अगर दान में दिया गया तो एक सामान्य परिवार का काफी दिनों तक पोषण कर सकता था।
यदि आपको लगता है की ये मुट्ठी इत्यादि शब्द प्रयोग पुराने हैं तो नीचे दिए गए लिंक को भी देखें ,जहाँ एक मुट्ठी अनाज योजना भारतसरकार द्वारा अभी भी लागू है ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति भी पेट भर अनाज खा सके।
कुछ और संस्थाएं जो अन्नदान का अनुमोदन कर रही हैं :