Quora पर एक प्रश्न पूछा गया था | उत्तर देने का लिंक शायद समाप्त हो गया है | मैं अपना उत्तर यहाँ देता हूँ |प्रश्न था :
जब हिंदुओ का जन्म ब्रह्मा के मुख, भुजा, जंघा और पैर से हुआ, जब सभी हिंदुओं में भगवान ब्रह्मा का ही अंश है तो फिर ब्राह्मण और क्षत्रिय को अपने आपको ऊँचा क्यों कहते हैं?
उत्तर : उँचा नीचा समझना सामाजिक की तत्कालिक कमियाँ हैं| सत्य तो ये हैं की कोई भी किस भी दूसरे वर्ण में प्रवेश कर सकता था| बहुत सारे उदाहरण हैं जहाँ व्यक्ति शूद्र, वैश्य, क्षत्रिय वर्ग से ऋषि ब्राह्मण बना और ब्राह्मण से क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र| पहले अपनी योग्यता के आधार पर ये अपना कार्य क्षेत्र चुनते थे या गुरुकुल उन्हे वर्ण प्रदान करता था | ये उँचा नीचा के दोष बाद में मानवीय कमियों के कारण आता गया| उँच-नीच की भवना आधुनिक मध्य काल से कुछ ज़्यादा बढ़ गयी | अभी भी जो शूद्र, वैश्य या क्षत्रिय सन्यासी होते हैं वो जन्मजात ब्राह्मणों से उच्च माने जाते हैं | गोस्वामी/गोसाईं संप्रदाय ऐसा ही एक उदाहरण है |
“There is no distinction in class, community or gender in the pursuit of eternal truth. Vedanta is for all who are eager to attain the Supreme. According to the Vedas the entire human race is one class.”
उपर लिखी हुई बात को सारगर्भित किए हुए पुस्तक को पढ़ें:
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