तुलसीदास के दोहे-7: आत्म अनुभव
जद्यपि जग दारून दुख नाना।सब तें कठिन जाति अवमाना। इस संसार में अनेक भयानक दुख हैं किन्तु सब से कठिन दुख जाति अपमान है। रिपु तेजसी अकेल अपि लघु करि गनिअ न ताहुअजहुॅ देत दुख रवि …
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