रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय
रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥ Rahiman nij man kee...
ब्लॉग्स
रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥ Rahiman nij man kee...
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।टूटे से फिर न जुरे, जुरे गाँठ परि जाय।। Rahiman dhaaga prem ka, Mat...
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।जहाँ काम सुई आवै कहाँ करै तरवारि।। रहीम जी का यह दोहा एक...
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।पंथी को छाया नहीं, फल लगे अति दूर ।। Bada hua to Kya...
कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ आंखों देखा घी भला, ना मुख मेला तेल ।साधु सों झगडा भला, ना साकट...