गंगा नदी के किनारे बसे प्रमुख नगर-पुरानी ट्रिक
बचपन में गंगा नदी के किनारे बसे प्रमुख नगरों के नाम याद करने के लिए हमें एक ट्रिक सिखाई जाती थी। जिसमें इन नगरों के प्रारंभिक अक्षरों को मिलकर एक वाक्य बनाया गया है। यह वाक्य था –
काना बाप हवाई वेग से भागा
काना बाप हवाई वेग से भागा- गंगा नदी के किनारे बसे नगर
यहाँ विभिन्न अक्षर इन शहरों को इंगित करते हैं-
- काना – कानपुर
- ब – बक्सर
- प – पटना
- ह – हरिद्वार
- वा – वाराणसी
- ई – ईलाहाबाद
- वेग – वेगुसराय
- से – साहेबगंज
- भागा – भागलपुर
यहाँ यह ध्यान देने की बात है कि नगरों के नाम उनके गंगा के प्रवाह पर क्रम के अनुसार नहीं हैं। गंगा प्रारम्भ होते ही सबसे पहले हरिद्वार पड़ता है परन्तु इस वाक्य में हरिद्वार वाला अक्षर बाद में आता है। तथा अब इलाबाद का नाम भी प्रयागराज हो चुका है। अतः एक नए ट्रिक वाक्य की आवश्यकता है।
गंगा नदी के किनारे बसे प्रमुख नगर-नयी ट्रिक
अतएव मैंने अपनी एक वाक्य तैयार किया है। जिसमें गंगा नदी के किनारे बसे प्रमुख नगरों की लिस्ट में दो नाम और जोड़े गए हैं। यह वाक्य इस प्रकार है –हरि का प्रिय बना बाबा छाप पावे भाग से
हरि का प्रिय बना बाबा छाप पावे भाग से -गंगा नदी के किनारे बसे नगर
- हरि-हरिद्वार
- का -कानपुर
- प्रिय – प्रयाग
- बना- बनारस (वाराणसी)
- बा- बक्सर
- बा- बलिया
- छाप- छपरा
- पा- पटना
- वे-बेगुसराई
- भाग- भागलपुर
- से – साहिबगंज
हरि का प्रिय बना बाबा छाप पावे भाग से
अर्थ: यहाँ इस वाक्य का सुन्दर अर्थ भी बनता है। जो भगवान विष्णु (हरि) के प्रिय ( भक्त ) बनकर बाबा ( सन्यासी) बनते हैं उन्हें उनके सौभाग्य से (शंख चक्र गदा वाला ) छाप मिलता है।
यहाँ सबसे बड़ी बात यह है कि सभी नगरों के नाम माँ गंगा के प्रवाह के शुरुआत से अंत कि तरफ एक के बाद एक, क्रमबद्ध मिलता है।यह ट्रिक वाक्य गंगा नदी के किनारे बसे नगरों के नाम एकदम ‘प्रवाह के अनुसार’ क्रमबद्ध सिखाता है।
आप भी प्रयोग कीजिये और बताइये कि कैसा अनुभव रहा।
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