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शामे-बनारस

गंगा के दूसरी तरफ खुली चाँदी जैसी रेत दूर-दूर तक फैली हुई है. सूरज की रोशनी अब धूमिल हो चली है और इस पर घाट पर पास ही बरगद के पेड़ पर पक्षियों का झुंड कलरव कर रहा है. बेशक, आख़िर सारा दिन खाने और जिंदा रहने की जद्दो-जहद के बाद सबको सही सलामत साथ देखकर उनका खुश होना लाजिमी है. उनके लिए एक दिन उनकी छोटी सी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा है.

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धर्मो रक्षति रक्षितः