अष्टांग योग
अष्टांग योग महर्षि पतंजलि ने योग के नियमों को सुत्रवत संकलित कर योगदर्शन नामक ग्रन्थ संसार को दिया है। जिसमे उन्होंने योग के अन्य प्रकल्पों के साथ-साथ अष्टांग योग का विस्तार से विवरण किया है। …
अष्टांग योग Read MoreBringing you closer to Hindu Indian roots
वैदिक एवं खगोल
अष्टांग योग महर्षि पतंजलि ने योग के नियमों को सुत्रवत संकलित कर योगदर्शन नामक ग्रन्थ संसार को दिया है। जिसमे उन्होंने योग के अन्य प्रकल्पों के साथ-साथ अष्टांग योग का विस्तार से विवरण किया है। …
अष्टांग योग Read Moreसूर्यनमस्कार क्यों करना चाहिए ‘भारत’ शब्द का ही अर्थ है ‘प्रकाश की उपासना करनेवाला।’ भा अर्थात ‘प्रकाश’, रत अर्थात ‘में व्यस्त’। प्रकाश की उपासना भारतीय संस्कृति का वैज्ञानिक आधार है। हमारी सारी परम्पराएं वैज्ञानिक हैं। उसका …
सूर्यनमस्कार क्यों करना चाहिए Read Moreयज्ञोपवीत की आवश्यकता और महत्व सनातन धर्म में यज्ञोपवीत की बड़ी महत्ता कही गयी है| यहाँ तक कि हर एक पूजा, यज्ञ, और देव , पितृ आदि कर्मों में यज्ञोपवीत धारण करना अनिवार्य ( आवश्यक ) …
यज्ञोपवीत की आवश्यकता और महत्व Read MoreRahu kaal is considered inauspicious period of the day and people avoid undertaking important tasks or starting new venture during this time. Rahu kaal is usually fo 90 minutes duration every day however the length of …
Rahu Kalam on each day Read Moreसप्त धान्य का प्रयोग पूजा में होता है| सप्त धान्य में सात पवित्र आनाज होते है। जिस पूजा में कलश का प्रयोग होता है वहाँ सप्त-धान्य की आवश्यकता होती है।
पूजा में प्रयुक्त होने वाले सप्त धान्य|7 Sacred Grains-Satnaja for Pooja Read More धर्मो रक्षति रक्षितः