तुलसीदास के दोहे-3: भक्ति
मूक होई बाचाल पंगु चढई गिरिवर गहनजासु कृपा सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन ।ईश्वर कृपा से गूंगा अत्यधिक...
मूक होई बाचाल पंगु चढई गिरिवर गहनजासु कृपा सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन ।ईश्वर कृपा से गूंगा अत्यधिक...
सेवक सुमिरत नामु सप्रीती।बिनु श्रम प्रवल मोह दलु जीती।फिरत सनेहॅ मगन सुख अपने।नाम प्रसाद सोच नहि सपने। भक्त प्रेमपूर्वक नाम...
साधु चरित सुभ चरित कपासू।निरस विशद गुनमय फल जासू।जो सहि दुख परछिद्र दुरावा।वंदनीय जेहि जग जस पावा। संत का चरित्र...
श्री धर्मराज(यमराज) जी की आरती- Shri Yamraj Aarti Lyrics in Hindi आरती ॐ जय जय धर्म धुरन्धर ॐ जय जय...
पूर्वजन्म कृत कर्म वर्तमान में पारस्परिक व्यवहार निश्चित करते हैं काशी में एक विद्वान ज्योतिषी रहते थे । एक दिन...