सतुआन की मंगलकामनाएं!
सतुआन कब मनाते हैं?
हिंदू पंचांग अनुसार जब सूर्य देवता मीन (Pisces)से मेष(Aries) राशि में जाते हैं तो इस अवसर पर मेष संक्रांति होती है। इसी अवसर को सतुआन पर्व (Satuan Festival) के रूप में मनाया जाता है। प्रायः यह तिथि प्रति वर्ष 14 अप्रैल के आस पास पड़ती है।
शुभ कर्म विवाह आदि का शुभारंभ
इसी दिन खरमास को समाप्ति भी होती है। खरमास में विवाह आदि शुभ कर्म की मान्यता काम होती है। आज सतुआन के दिन से ही विवाह आदि शुभ कर्म बहुलता से जोर पकड़ते हैं। गांवों देहातों और शहरों में भी इस समय खूब विवाह होते हैं। कारण एक तो यह समय उत्तम होता है लग्न के लिए और किसान आदि भी अपनी फसल बेचकर पैसे इत्यादि इकट्ठे कर लेते हैं। गर्मियों मौसम शादी विवाह का मौसम इसीलिए कहा जाता है।
सतुआन दिन स्नान का विशेष महत्व
आज के दिन स्नान का विशेष महत्व है। कहते अलसी व्यक्ति को भी इस दिन स्नान अवश्य करना चाहिए।
असकतिहन के तीन नहान
गांवों में कहावत है-
असकतिहन के तीन नहान।
खिचड़ी, फगुआ औ सतुआन।।
इसमें से:-
- खिचड़ी अर्थात मकर संक्रांति प्रायः 15 जनवरी के आस पास पड़ता है।
- फगुआ फाल्गुन शब्द अपभ्रंश है और इसका अर्थ होली से है।
- और तीसरा दिन सतुआन का होता है, जो 14 अप्रैल के आस-पास होता है।
अर्थ- इसका अर्थ यह है कि अलसी लोग के लिए तीन दिन स्नान करने होते हैं। मकर संक्रांति, होली और सतुआन।
यह एक तरह का व्यंग है की आलसी से भी आलसी लोगों को कम से कम मकर संक्रांति, होली और सतुआन दिन तो स्नान अवश्य करना चाहिए।
सतुआन कैसे मनाते हैं
सतुआन पर्व को बड़े श्रद्धा से मनाया जाता है। आज के दिन के जौ का सत्तू गरीब असहाय लोगों को दान दिया जाता है।पूर्वांचल में लोग आज के दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने के पश्चात जौ-चने का सत्तू, गुड़, आम का छोटा फल जिसको अमिया या टिकोरा भी कहते हैं , उसका दान करते हैं। यही सामग्री पहले अपने इष्ट, ग्राम देवता, स्थानीय देवताओं, ब्रह्म बाबा आदि को चढ़ा के उनका प्रसाद ग्रहण करते हैं। प्रसाद में कच्चे आम की चटनी, प्याज, अचार, नमक, हरी मिर्च आदि भी अर्पण करते हैं।यही प्रसाद फिर लोग सपरिवार ग्रहण करते हैं।
सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण
चाहे व्यक्ति कितना भी धनी क्यों न हो लेकिन सतुआन पर्व। के दिन सतुए का ही भोग लगाया जाता है। सत्तू एक ऐसी वस्तु है जो अत्यधिक पोशाक है और गरीब से गरीब व्यक्ति को भी उपलब्ध होती है। सही मायनों में देखें तो ये पर्व सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण है।आप भी इसे अवश्य मनाएं और दान दक्षिणा अवश्य दें।
आज ये लेख लिखते हुए मैं अपने गॉंव से दूर हूँ और ऑफिस के परिसर के अंदर आज मुझे आम के पेड़ के नीचे छोटी सी अमिया/ टिकोरा मिली। ऊपर देखा तो बहुत से टिकोरे लगाए हुए थे। मन प्रसन्न हो गया। तुरंत टिकोरा लाके श्री गणेश जी की मूर्ति को अर्पण किया। इस अप्रत्याशित घटना से ऐसा लगा की केवल हम ही नहीं संस्कृति को याद करते वरन संस्कृति भी प्रकृति के संयोग से अपना सन्देश देने से नहीं चूकती।
FAQs-बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न
Q.1 सतुआन कब है 2023
A. 14 अप्रैल 2024, दिन-शुक्रवार
Q2. सतुआन कब है 2024
A. 14 अप्रैल 2024, दिन-रविवार
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