नाभि से अद्भुत देशी उपचार
नाभि(नाभी) प्रकृति की एक अनोखी रहस्यमय देन है। नाभि उपचार किस प्रकार हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है इसका एक उदहारण तब देखने को मिला जब एक 62 वर्षीय वरिष्ठ सज्जन को अचानक बांई आँख से दिखना कम हो गया। विशेषतः रात्रि को उनको न के बराबर दिखने लगा। डॉक्टरी जाँच करने पर यह पाया गया कि उनकी आँखे ठीक है परंतु बांई आँख की रक्तवाहिनी नलिकाएं सूख रही है। रिपोर्ट में यह भी सम्भावना जताई गयी कि अब वो जीवन भर देख नहीं पायेंगे। परन्तु उन्होंने नाभि में देसी घी और तेल लगाना प्रारम्भ किया और कुछ ही समय में उनकी समस्या में काफी सुधार दिखने लगा। हमारे बचपन में हमारे दादी नानी भी नाभि में तेल लगाया करती थीं, कहती थीं कि इससे अच्छा होता है। इस प्रकार इस उपचार से अपना परिचय बहुत पुराना है।
हमारा शरीर परमात्मा प्रदत्त प्रकृति कि एक अद्भुत प्रक्रिया की सुन्दर देन है। गर्भ में शिशु को माता के साथ जुडी हुई नाभि नाल से ही पोषण मिलता है। गर्भावस्था के नौ महीने अर्थात लगभग 270 दिन शिशु शरीर का सम्पूर्ण निर्माण और उसके अवयवों का पोषण का आधार यह नाभि ही है। नाभि के द्वारा ही सभी नाड़ियों का जुड़ाव गर्भ के साथ होता है। नाभि के अंदर के भाग में पेचुटी या नैवेल बटन होता है जिससे ७२००० से अधिक नाड़ियों का जुड़ाव होता है। अतएव नाभि शरीर का एक अद्भुत भाग है। नाभि क्षेत्र में जीवनी शक्ति प्रबल होती है और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे पश्चात तक भी नाभि गर्म रहती है।
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इन्ही सब कारणों से नाभि / नाभी में देसी गाय का शुध्द घी या तेल लगाने से(putting oil in navel) बहुत सारी शारीरिक समस्याओं का उपाय किया जा सकता है।
- नेत्रों का शुष्क हो जाना, दृष्टि कमजोर हो जाना के उपचार के लिए, स्निग्ध चमकदार त्वचा और स्वस्थ बालों के लिये उपाय-
रात्रि में सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुध्द देशी घी या नारियल का तेल नाभि में डालें और इसे नाभि के इर्द-गिर्द डेढ़ ईंच (1.5 inch) की गोलाई में फैला देवें। - घुटने के दर्द में उपाय-
घुटने के दर्द में रहत पाने के लिए सोने से पहले तीन से सात बूंद अरंडी का तेल नाभि (नाभी) में डालें और कुछ तेल उसके आसपास डेढ़ ईंच की परिधि में फैला देवें। - शरीर में कम्पन तथा जोड़ों में दर्द और रूखी शुष्क त्वचा के लिए उपाय
ऊपर बताये गए उपचार की तरह ही रात्रि को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों का तेल नाभि/नाभी में डालें और उसे चारों ओर डेढ़ ईंच में फैला देवें। - मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए उपाय
ऊपर बताये गए तरीके से ही नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभि में डालकर उसके चारो ओर देश इंच तक फैलाएं।
नाभि /नाभी में तेल डालने का कारण
देसी उपचार की परंपरा के अनुसार शरीर की सभी मुख्य नाड़ियों से सम्बद्ध होने के कारण हमारी नाभि को संज्ञात होता है की हमारे शरीर के किस हिस्से को उपचार की आवश्यकता है या कौन सी रक्तवाहिनी सूख रही है इसीलिए उसी रक्तवाहिनी में तेल का प्रवाह करती देती है।
हमारे बचपन में गावों में जब छोटे बालकों का पेट दुखता था तो तब हींग और तेल या पानी का मिश्रण बालक की नाभि और उसके आस पास लगाते थे। इस छोटे से उपाय से बालक का रोना चिल्लाना बंद हो जाता था और वो चैन से सो जाता था। ऐसे छोटे छोटे देसी उपचार अकसर गावों में किया जाता है क्योंकि त्वरित डॉक्टरी सहायता वहां उपलब्ध नहीं होती। ऐसे में नाभि का उपचार कारगर है।