May 30, 2023

हिंदी वर्णमाला का कवितामय प्रयोग

0
0
(0)

यह कविता जिसने भी लिखी प्रशंसनीय है।
हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग-बेहतरीन है।

चानक
कर मुझसे
ठलाता हुआ पंछी बोला
श्वर ने मानव को तो
त्तम ज्ञान-दान से तौला
पर हो तुम सब जीवों में
ष्य तुल्य अनमोल
क अकेली जात अनोखी
सी क्या मजबूरी तुमको
ट रहे होंठों की शोख़ी
र सताकर कमज़ोरों को
अं ग तुम्हारा खिल जाता है
अ: तुम्हें क्या मिल जाता है.?
हा मैंने- कि कहो
ग आज सम्पूर्ण
र्व से कि- हर अभाव में भी
र तुम्हारा बड़े मजे से
ल रहा है
छो टी सी- टहनी के सिरे की
गह में, बिना किसी
गड़े के, ना ही किसी
कराव के पूरा कुनबा पल रहा है
ठौ र यहीं है उसमें
डा ली-डाली, पत्ते-पत्ते
लता सूरज
रावट देता है
कावट सारी, पूरे
दि वस की-तारों की लड़ियों से
न-धान्य की लिखावट लेता है
ना दान-नियति से अनजान अरे
प्र गतिशील मानव
फ़ रेब के पुतलो
न बैठे हो समर्थ
ला याद कहाँ तुम्हें
नुष्यता का अर्थ.?
ह जो थी, प्रभु की
चना अनुपम…
ला लच-लोभ के
शीभूत होकर
र्म-धर्म सब तजकर
ड्यंत्रों के खेतों में
दा पाप-बीजों को बोकर
हो कर स्वयं से दूर
क्ष णभंगुर सुख में अटक चुके हो
त्रा स को आमंत्रित करते
ज्ञा न-पथ से भटक चुके हो।

अंग्रेजी के अल्फाबेट्स कर बहुत कुछ पढ़ा होगा, पहली बार हिंदी की गीतमयी वर्णमाला का आनन्द लें।


Dibhu.com-Divya Bhuvan is committed for quality content on Hindutva and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supportting us more often.😀


Facebook Comments Box

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!