यदुवंशियों द्वारा किया गया विश्व इतिहास सबसे पहला शाका और जौहर
गज़नी का किला ,अफगानिस्तान
इस किले का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के दसवें वंशज राजा रजसेन के पुत्र राजा गजबाहु ने ‘युधिष्ठिर सवंत’ ३०८ अक्षय तृतीया रविवार को रोहिणी नक्षत्र में गजनी की स्थापना की थी |
(भारतीय वर्ष गणना व्यवस्था में हर वर्ष का एक नाम होता है , जैसे सन २०२०-२१ में संवत्सर का नाम ‘प्रमादी’ था।नाम के अनुसार वर्ष के कुछ गुण भी होते हैं जैसे प्रमाद का अर्थ काम न करके व्रत समय गंवाने से है। २०२० में लॉक डाउन में कार्य की काफी क्षति हुयी थी यह सर्व विदित है। नाम के अलावा भी कई और कारण वर्ष फल को प्रभावित करते हैं।)
राजा गजबाहु के नाम पर ही उस स्थान का नाम गज़नी पड़ा।
(अफगानिस्तान नाम भी उप-गण स्थान शब्द का अपभ्रंश बताया जाता है। उस समय तक भारत का सीमान्त क्षेत्र होने के कारण वहां निवास करने वाली सैनिक प्रजातियों का क्षेत्र माना गया है। उप-गण स्थान का अंग्रेजी में अनुवाद फ्रंटियर फाॅर्स एरिया or Region of Para Military forces कहा जा सकता है।)
सन् 194 ईसवी में गजनी और हिंसार/हंसार पर राजा भाटी जी से 3 पीढ़ी पहले के पूर्वज राजा गजसेन राज्य करते थे। उस समय खुरासान व रूम (सीरिया) की संयुक्त सेनाओं ने गजनी पर आक्रमण कर दिया ।
(भगवान श्री कृष्ण के 78 वे वंशज राजा हंसपत ने विक्रम संवत 02 (055 ईसा पूर्व) कार्तिक सुदी दूज बृहस्पति वार के शुभ दिन अपने नाम से एक नए नगर की स्थापना कर “हंसार” गढ़ की नींव रखी । जो वर्तमान में पेशावर पाकिस्तान में हैमुगल बादशाह अकबर के समय में इस किले का पुनः निर्माण हुआ था जिसके बाद इसे किला बाला हिसार कहा जाने लगा। यह हंसार गढ 200 वर्षों तक यदुवंशियों की राजधानी रहा।)
यदुवंशी राजा गजसेन तथा उनके अनुज सहदेव ने 30 दिनों तक शत्रु का सामना करते हुए गढ़ बचाए रखा किले में रसद व सैन्य ने संसाधन समाप्त होने की स्थिति में आत्मसमर्पण के स्थान पर वीरता पूर्वक मौत को गले लगाना श्रेष्ठ मानकर जौहर करने का निश्चय किया गया क्षत्रिय ललनाओ ने पवित्र अग्नि में कूदकर अपनी अस्मिता और कुल गौरव की लाज बचाई ।
क्षत्रिय योद्धाओ ने किले के द्वार खोलकर शत्रु सेना पर कहर बरपा दिया।एक-एक कर सभी योद्धा रण खेत रहे। इस प्रकार क्षात्र परंपरा और शौर्य का प्रतीक साका संपन्न हुआ इतिहास में जौहर-शाका की यह प्रथम किंतु अद्भुत घटना सन् 194 ईसवी में गजनी में घटित हुई थी।
!!जय क्षात्र धर्म!!
References:
पुंडीर क्षत्रिय राजपूत Pundir Kshatriya Rajput
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