June 9, 2023

चार मिले चौंसठ खिले- कहावत का अर्थ

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ऐसा चमत्कार हिंदी में ही हो सकता है …

चार मिले चौंसठ खिले,
बीस रहे कर जोड़!
प्रेमी सज्जन दो मिले,
खिल गए सात करोड़!!

मुझसे एक बुजुर्गवार ने इस कहावत का अर्थ पूछा….
काफी सोच-विचार के बाद भी जब मैं बता नहीं पाया,
तो मैंने कहा –”बाबा आप ही बताइए, मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा !”

तब एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बाबा समझाने लगे –
“देखो बेटे, यह बड़े रहस्य की बात है…
चार मिले – मतलब जब भी कोई मिलता है,
तो सबसे पहले आपस में दोनों की आंखें मिलती हैं,
इसलिए कहा, चार मिले..
फिर कहा, चौसठ खिले – यानि दोनों के बत्तीस-बत्तीस दांत – कुल मिलाकर चौंसठ हो गए,
इस तरह “चार मिले, चौंसठ खिले”
हुआ!”

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“बीस रहे कर जोड़” – दोनों हाथों की दस उंगलियां – दोनों व्यक्तियों की 20 हुईं – बीसों मिलकर ही एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं!”

“प्रेमी सज्जन दो मिले” – जब दो आत्मीय जन मिलें – यह बड़े रहस्य की बात है – क्योंकि मिलने वालों में आत्मीयता नहीं हुई तो
“न बीस रहे कर जोड़” होगा और न “चौंसठ खिलेंगे”

उन्होंने आगे कहा,
“वैसे तो शरीर में रोम की गिनती करना असम्भव है,
लेकिन मोटा-मोटा साढ़े तीन करोड़ बताते हैं, बताने वाले !
तो कवि के अंतिम रहस्य – “प्रेमी सज्जन दो मिले – खिल गए सात करोड़!”
का अर्थ हुआ कि जब कोई आत्मीय हमसे मिलता है,
तो रोम-रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई – जैसे ही कोई ऐसा मिलता है,
तो कवि ने अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया – “खिल गए सात करोड़” यानि हमारा रोम-रोम खिल जाता है!”

भई वाह, आनंद आ गया।
हमारी कहावतों में कितना सार छुपा है।
एक-एक शब्द चासनी में डूबा हुआ,
हृदय को भावविभोर करता हुआ!


इन्हीं कहावतों के जरिए हमारे बुजुर्ग, जिनको हम कम पढ़ा-लिखा समझते थे, हमारे अंदर गाहे-बगाहे संस्कार का बीज बोते रहते थे।

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