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जब एक राजपूत ने लव जिहादी से एक ब्राह्मणी की रक्षा की

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जब एक राजपूत ने लव जिहादी से एक ब्राह्मणी की रक्षा की

धरती माता कभी बीज नहीं गवांती

जैसलमेर में 1966 के बाद सामने नही आया कोई भी लव जेहाद का मामला। जैसलमेर में एक ब्राह्मण ने लव जिहादियों की ऐसे गर्दन उतरवाई की तब से आज तक वहां कोई लव जिहाद का मामला नहीं आया।

जैसलमेर जिले के मुगलों का गाँव सनावाडा में 1966 में हुई एक घटना जिक्र रहा हूँ। मुगल बाहुल्य गाँव था सनावाड़ा ..जहाँ का सरपंच एक मुगल था। सरपंच का पुत्र जोधपुर में पढाई कर रहा था। गर्मी के अवकाश में लड़का अपने गाँव आया हुआ था।

पास के गाँव के एकमात्र श्रीमाली ब्राह्मण परिवार की कन्या सरपंच के पुत्र को भा गई। पहले तो पिता ने पुत्र को समझाया। धर्म और मजहब में अंतर बताया। किन्तु जब पुत्र जिद्द पर अड़ गया। तो सरपंच 10-15 मुगलों को साथ लेकर ब्राह्मण के घर गया और कन्या का हाथ (बलपूर्वक) अपने पुत्र के लिए माँगा।

ब्राह्मण परिवार पर तो मानो ब्रजपात हो गया हो। किन्तु कुछ सोचकर ब्राह्मणदेव ने दो माह का समय माँगा।
दुसरे दिन हताश ब्राह्मणदेव पास के राजपूत गाँव में वहां के ठाकुर के निवास पर गये , और निवास के मुख्य द्वार के सामने फावड़े से मिटटी खोदने लगे।

बड़े ठाकुर साहब उस समय घर पर नहीं थे। मगर 17 वर्षीय कुंवर और उनकी माताजी जी घर पर थे। जब ब्राह्मण द्वारा मिटटी खोदने की सुचना उन्हें मिली , तो कुंवर ब्राम्हणदेव के पास गए और आदरपूर्वक मिट्टी खोदने का कारण पूछा।


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ब्राह्मणदेव ने उत्तर दिया :- कुंवर जी! मैने सुना है धरती माता कभी बीज नहीं गंवाती। खोद कर देख रहा हूँ , कि हमारे रक्षक क्षत्रिय समाज का बीज आज भी है या नष्ट हो चुका है।

कुंवर पूरे 17 वर्ष के थे.. बात को समझ गए। उन्होंने ब्राह्मणदेव को वचन दिया कि आप निश्चिन्त रहें विप्रवर।
मैं राजपूत आपको वचन देता हूँ कि आपके सम्मान हेतु प्राण दे दूँगा , किन्तु पीछे नहीं हटूँगा। आप अतिथि घर में पधारें। स्नान आदि करके भोजन करिए। तब तक पिताश्री भी आ जायेंगे।आपको निराश नहीं करेंगे।

जब ठाकुर साहब वापिस आये तो कुंवर ने पूरी बात बताई और वचन देने वाली बात भी बताई।

ठाकुर साहब ने ब्राह्मणदेव से कहा कि :- गुरूदेव! मैं आपको धन देता हूँ। आप कोई योग्य ब्राह्मण लड़का देख कर अपनी कन्या का रिश्ता तय कर लें। साथ ही मुगल सरपंच को उसी तिथी पर दो माह बाद बारात लेकर आपके घर आमंत्रित करें। बाकी का कार्य हम पूरा करेंगे।

दो माह बीते और बताये समय पर मुगल सरपंच भारी दलबल के साथ ब्राह्मण के घर बारात लेकर पहुँच गया।
तिलक के समय ठाकुर के कुंवर ने अपने दो चाचा के साथ मिल कर पहले वर का सर काटा और कटे सिर को लहराते हुए उसी विवाह मंडप में भयंकर रक्तपात मचाया।

वो मंजर कुछ ऐसा था.. जैसे शेर पूरी ताकत से शिकार कर रहा हो। उसके बाद कार्बाइन से गोली चला कर सभी बारातियों सहित सरपंच तमाम मुगलों को जहन्नुम पहुंचा दिया।

उस दिन का दिन और आज का दिन जैसलमेर में आज तक कोई लव जिहाद जेसी घटना नहीं हुई। कुंवर आज भी जीवित हैं, और मुगल उनको देख कर आज भी भय से कापते है।

???जय भवानी???

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