कलियुग के प्रभाव से बचने का मन्त्र
कलियुग के प्रभाव से बचने का मन्त्र
सुबह बोलें यह चमत्कारी मंत्र ! अनजाने भी न होंगे गलत काम व नुकसान
बुराई का किसी भी रूप में संग मन में बुरे भाव ही पैदा करता है। ये भाव काम या इच्छाओं के रूप में सामने आते हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों में बताए गए चार युगों में से कलियुग में भी पाप व बुरे कर्मों के बढऩे व उनसे कर्म, विचार और जीवन पर बुरा असर होने के बारे में लिखा गया है।
आज के दौर में भी उठते-बैठते इंसानी कर्म व विचारों में स्वार्थ, ईर्ष्या, कामनाएं, क्रोध जैसे अनेक स्वाभाविक दोष हावी दिखाई देते हैं। इससे जाने-अनजाने अनेक तरह के पाप होते हैं, जो आखिरकार दु:ख व कलह पैदा करते हैं।
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मन, वचन, कर्मों से हुए पाप कर्मों से बचने या प्रायश्चित के लिये हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत में एक मंत्र विशेष बताया गया है, जो कलियुग के बुरे प्रभाव से बचाकर बुद्धि को पवित्र करने वाला माना गया है। खासतौर पर सुबह या जब भी मन में कोई बुरे विचार आए तो सचेत होकर इस मंत्र का स्मरण कर गलत काम या नुकसान की ओर बढऩे वाले कदमों को रोका जा सकता है। जानिए यह चमत्कारी मंत्र –
लिखा गया है कि कर्कोटक नाग, नल-दमयन्ती और ऋतुपर्ण का नाम लेने से कलियुग का प्रभाव नहीं होता। इसलिए श्रद्धा-भाव से पाठ-पूजा के वक्त इस मंत्र द्वारा इनका नाम स्मरण करें –
||कर्कोटस्य नागस्य दमयन्त्या नलस्य च। ऋतुपर्णस्य राजर्षे: कीर्तनं कलिनाशनम्।।