राम नाम सुविचार
राम नाम मणिदीप है . एक दीपक होता है एक मणिदीप होता है . तेल का दिया दीपक कहलाता है मणिदीप स्वतः प्रकाशित होती है . जो मणिदीप है वह कभी बुझती नहीं है . जैसे दीपक को चौखट पर रख देने से घर के अंदर और भर दोनों हिस्से प्रकाशित हो जाते हैं वैस ही राम नाम को जीभ पर रखने से अंतःकरण और बाहरी आचरण दोनों प्रकाशित हो जाते हैं
राम नाम मन्त्र – जाप और नाम – जाप दोनों है
एक नाम जाप होता है और एक मंत्र जाप होता है . राम नाम मन्त्र भी है और नाम भी . राम राम राम ऐसे नाम जाप कि पुकार विधिरहित होती है . इस प्रकार भगवान को सम्बोधित करने का अर्थ है कि हम भगवान को पुकारे जिससे भगवान कि दृष्टि हमारी तरफ खिंच जाए . जैसे एक बच्चा अपनी माँ को पुकारता है तो उन माताओं का चित्त भी उस बच्चे की ओर आकृष्ट हो जाता है , जिनके छोटे बच्चे होते हैं . पर उठकर वही माँ दौड़ेगी जिसको वह बच्चा अपनी माँ मानता है .
राम-नाम से परमब्रह्म प्रतिपादित होता है
भगवान स्वयं नामी कहलाते हैं . भगवान परमात्मा अनामय है अर्थात विकार रहित है . उसका न नाम है , न रूप है उसकी जानने के लिए उनका नाम रख कर सम्बोधित किया जाता है , क्योंकि हम लोग नाम रूप में बैठे हैं इसलिए उसे ब्रह्म कहते हैं . जिस अनंत, नित्यानंद और चिन्मय परमब्रह्म में योगी लोग रमण करते हैं , उसी राम-नाम से परमब्रह्म प्रतिपादित होता है अर्थात राम नाम ही परमब्रह्म है .
Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supportting us more often.😀
Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com