रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय
रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥ Rahiman nij man ki...
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रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥ Rahiman nij man ki...
भक्त रहीम जी का यह दोहा संबंधों के निर्वहन के लिए बहुत महत्वपूर्ण सीख है।पूरा दोहा इस प्रकार से है-...
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।जहाँ काम सुई आवै कहाँ करै तरवारि।। दोहे का अर्थ रहीम जी कहते...
प्रस्तुत दोहा कबीर दास जी ने ऐसे लोगों के बारे में लिखा है जो जो थोड़े से पद, मान सम्मान...
कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ आंखों देखा घी भला, ना मुख मेला तेल ।साधु सों झगडा भला, ना साकट...
धर्मो रक्षति रक्षितः