सर्वव्यापक ईश्वर पर कबीर के दोहे|Kabir Ke Dohe On Omnipresence Of God
मैं जानू हरि दूर है हरि हृदय भरपूरमानुस ढुढंहै बाहिरा नियरै होकर दूर। Mai janu Hari door hai Hari hirday...
मैं जानू हरि दूर है हरि हृदय भरपूरमानुस ढुढंहै बाहिरा नियरै होकर दूर। Mai janu Hari door hai Hari hirday...
कबिरा चिंता क्या करु, चिंता से क्या होयमेरी चिंता हरि करै, चिंता मोहि ना कोय। kabira chinta kya karu ,...
छारि अठारह नाव पढ़ि छाव पढ़ी खोया मूलकबीर मूल जाने बिना,ज्यों पंछी चनदूल। Chhari atharah naw padhi chhaw padhi khoya...
आगि आंचि सहना सुगम, सुगम खडग की धारनेह निबाहन ऐक रास, महा कठिन ब्यबहार। Aagi aanchi sahna sugam , sugam...
अंखियाॅ तो झैन परि, पंथ निहार निहारजीव्या तो छाला पारया, राम पुकार पुकार। Aakhiyan to jhain pari , panth nihar...