हल्दीघाटी के प्रसिद्ध युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने वाले योद्धा पाली के मानसिंह जी सोनगरा, जो कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के मामा थे ।
ये अखयराज सोनगरा के पुत्र और महाराणा प्रताप के मामा थे।ये वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के मामा तो थे और एक महान कुशल योद्धा भी| हल्दीघाटी के युद्ध की तारीख 21 जून 1576 है।यह युद्ध साल के सबसे बड़े(लम्बे दिनमान वाला) दिन हुआ था।
ये सोनगरा चौहान थे। स्वर्णगिरि पर्वत के आस पास के रहने वाले राजपूतों की शाखा को सोनगरा कहा जाता था।
आभों पल्टे , धर ऊल्टें बख्तर कोर ।सिसे कटे धड़े लडेपडे़ , जद छूटें जालोर रो सिरदार सोनगरों |
पौष मास, वि.सं. 1600 में सुमेरगिरी युद्ध में पाली के चौहान शासक अखैराज सोनगरा के वीरगति प्राप्त करने के बाद उनका पुत्र मानसिंह सोनगरा पाली की गद्दी पर आसीन हुए| मानसिंह भी अपने पिता अखैराज की तरह बड़ा वीर योद्धा हुए|
मानसिंह सोनगरा ने जहाँ महाराणा प्रताप को चितौड़ की गद्दी पर आसीन कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई वहीं राव मालदेव व राव चंद्रसेन की ओर से विभिन्न युद्ध अभियानों में भाग लेकर अद्भुत वीरता का परिचय दिया| वि.सं. 1618 में सरफुद्दीन द्वारा मेड़ता पर चढ़ाई के बाद उसका मुकाबला करने को 2 हजार सैनिक लेकर पृथ्वीराज कूंपावत के साथ मानसिंह सोनगरा मेड़ता गए पर शाही सेना की विशालता के आगे उन्हें पुन: जोधपुर लौटना पड़ा|
वि.सं. 1619 में मारवाड़ के गृहयुद्ध में राव चन्द्रसेन के विद्रोही भाईयों राम व उदयसिंह को दबाने फलौदी के निकट लोहावट के युद्ध में मारवाड़ के गणमान्य योद्धाओं के साथ मानसिंह सोनगरा भी थे| जहाँ उन्होंने राव चंद्रसेन को बचा कर स्वामिभक्ति का परिचय दिया|
राव चंद्रसेन द्वारा अकबर की अधीनता नहीं स्वीकारे जाने पर जब हुसैनकुलीखां शाही सेना के साथ जोधपुर पहुंचा, तब जोधपुर के गणमान्य योद्धाओं के साथ मानसिंह सोनगरा ने भी अतुल साहस का परिचय देते हुए मुग़ल सेना से लोहा लिया| पांच माह संघर्ष के बाद जब राजपूत मुग़ल सेना के आगे टिक नहीं पाये तब मानसिंह सोनगरा, चांदा मेड़तिया आदि मार्ग शीर्ष सुदी 10, वि.सं. 1622 की रात्रि को राव चंद्रसेन के साथ गढ़ से निकल आये और शाही सेना के खिलाफ छापामार युद्ध शुरू किया| जोधपुर पर मुगल सेना की विजय के बाद मानसिंह सोनगरा को पाली छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा|
पाली का परित्याग कर मानसिंह सोनगरा अपने बहनोई महाराणा उदयसिंह के पास चले गए| महाराणा उदयसिंह जी ने अपनी भटियानी रानी के प्रभाव में आकर बड़े पुत्र प्रताप की जगह जगमाल को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था|
वि.सं. 1629 में महाराणा उदयसिंह का निधन हुआ| महाराणा के दाह संस्कार में जगमाल को नहीं देखकर सरदारों ने पूछा कि जगमाल कहाँ है? इस पर महाराणा के अन्य पुत्र सगर ने बताया कि वह गद्दी पर बैठा है|
तब मानसिंह सोनगरा ने रावत कृष्णदास (सलुम्बर), सांगा देवड़ा (देवगढ), रामशाह तोमर आदि सरदारों से कहा कि- “अकबर जैसे शक्तिशाली दुश्मन की आँख चितौड़ पर लगी है| अत: सोच समझकर जगमाल को गद्दी को बैठावें| प्रताप राणा का ज्येष्ठ पुत्र है और हर तरह से योग्य है, ऐसे समय में उसकी मेवाड़ की गद्दी के लिए वह उपयुक्त है| “
सिसोदिया सरदारों ने मानसिंह की बात पर विचार किया और राजमहल जाकर जगमाल को गद्दी से उतार कर प्रताप को गद्दी पर आसीन किया| इस तरह मानसिंह सोनगरा जो महाराणा प्रताप के मामा भी लगते थे, ने राणा प्रताप को गद्दी पर आसीन कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई|
हल्दीघाटी के महत्त्वपूर्ण युद्ध में भी महाराणा की सेना के वाम पार्श्व का नेतृत्व करने वाले मानसिंह झाला के साथ मानसिंह सोनगरा भी तैनात रहे और वीरतापूर्वक मुग़ल सेना से लोहा लिया| जब महाराणा युद्ध में घिर गए, चेतक घायल हो गया तब महाराणा को युद्ध क्षेत्र से दूर कर झाला मानसिंह ने युद्ध का नेतृत्व सम्भाला तब उनके साथ मानसिंह सोनगरा भी कंधे से कन्धा मिलाकर लड़ने को उद्दत हुए और मुग़ल सेना से भीषण युद्ध करता हुआ अपने कई वीर चौहान साथियों के साथ रणखेत रहा|
इस तरह मानसिंह सोनगरा ने हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप के सहयोगी के तौर पर अपनी भूमिका निभाते हुए मेवाड़ की आजादी के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया|
राव मालदेव, राव चन्द्रसेन, महाराणा उदयसिंह, महाराणा प्रताप जैसे चार राजाओं की सेवा में रह कर युद्धों में उनके प्रति निष्ठावान रहते मानसिंह सोनगरा ने जो वीरता प्रदर्शित की उससे प्रभावित होकर स्थानीय चारण कवियों के साथ सुप्रसिद्ध कवि दुरसा आढ़ा व खिडिया गाला जैसे कवियों ने मानसिंह सोनगरा पर वीर-गीतों की रचना कर उसका गुणगान किया|
Reference Book(सन्दर्भ ग्रन्थ) : डा. हुकम सिंह भाटी द्वारा लिखित “सोनगरा-सांचोरा चौहानों का वृहद इतिहास”
Post contribution- Balveer Singh Chouhan “हम मनसिंघोत सोनगरा चौहान है।मानसिंग जी सोनगरा के वंशज है।ये अखयराज सोनगरा के पुत्र और महाराणा प्रताप के मामा थे।”
Reference Sources:
राणा प्रताप का सहयोगी मानसिंह सोनगरा
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