June 2, 2023

टवटेक : एक भोजपुरी शब्द की व्याख्या

0
0
(0)

भोजपुरी पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में बोली जाने वाली लोकभाषा है। बोले जाने का क्षेत्र बहुत व्यापक होने से स्थान भेद से भोजपुरी का स्वरुप भी बहुत परिवर्तित होता रहता है। बहुत संभव है की एक क्षेत्र में बोली जाने वाली भोजपुरी के तरीके और शब्दों को दूसरे क्षेत्र में स्थानोय न माना जाय पर फिर भी अर्थ लोग समझ हो लेते हैं। और भावना भी।

यह भावना ही एक ऐसी चीज है जो भोजपुरी को दूसरी भाषाओं से एक अलग विशिष्टता प्रदान करती है। भोजपुरी कहीं की भी हो प्रबल भावनात्मक प्रधान भाषा होती है। भावना , सामायिक आवश्यकता के अनुसार नए शब्द भी गढ़ लिए जाते हैं और मजे की बात यह है की सामने वाला व्यक्ति इस नए शब्द का मतलब भी समझ जाता है। भोजपुरी का यही लचीलापन इसकी बहुत बड़ी सुंदरता है। यही कारण है की यह प्रबल भावना प्रधान बन जाती है। जो नए शब्द अविष्कृत होते हैं वह समय के अनुसार कभी बहुत प्रचलित होते हैं और कभी समय के साथ बिना कुछ कहे विदा भी हो जाते हैं।

अब से हम ग्रामीण और आंचलिक कुछ ऐसे ही प्रचलित शब्दों मुहावरों लोकोक्तियों के बारे में सनसखीपत चर्चा करेंगे जो शायद अपने ने कभी सुने ही न हो या सुनकर चकित होते हो इसका अर्थ या प्रयोग कैसे होता है।

इसी शृंखला में आज हम टवटेक शब्द की चर्चा करेंगे।

Dibhu.com-Divya Bhuvan is committed for quality content on Hindutva and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supportting us more often.😀


टवटेक कोई स्थापित भोजपुरी शब्द नहीं है और आज से ३०-४० वर्ष पहले प्रचलन में आया था। इसका प्रयोग इस प्रकार होता था। बहुधा माँएं अपने बच्चों को बोलती थीं की “अरे खा पी के टवटेक हो जा।” अर्थात अरे भाई खाना खा पी कर तृप्त हो कर निवृत्त हो जाओ। यहाँ टवटेक का अर्थ खा पी के पेट भर जाने से होता है।

ये कोई निर्धारित कार्य पूर्ण होने पर टवटेक का प्रयोग होता है जैसे किसी के पूछा कि स्कूल का होमवर्क किया की नहीं ? ठसक से भरा उत्तर मिलता है की,“अरे हम कब्ब क होमवर्क पूरा करके टवटेक हई की।” मतलब की मैंने कभी का होमवर्क पूरा करके बैठा हूँ। अर्थात मेरा काम पूरा हो चूका है।

फिर भी टवटेक शब्द क मुख्य प्रयोग भोजन करके तृप्त हो जाने के लिए होता हैं कि अब आगे कई घण्टों तक खाने की आवश्यकता नहीं है। माँ को भी संतोष होता है की बालक का पेट अब सही तरीके से भरा है और उसे अगले कई घंटो तक चिंता करने की आवश्यकता नहीं। अब बालक बाहर जाकर खेले और मौज करे।

भरे पेट तक खा कर तृप्त बालक भी बोलेगा कि, “हम खा पी के टवटेक हई।”

टवटेक के कुछ भोजपुरी समानार्थी शब्द चकाचक, टंच आदि भो हो सकते हैं। इनके बारे में हम फिर कभी चर्चा करेंगे।

तब तक जय राम जी की!

लेखक -प्रशांत

Facebook Comments Box

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!