हनुमान चालीसा में चालीस चौपाई ही क्यों हैं?
केवल हनुमान चालीसा ही नहीं सभी देवी-देवताओं की प्रमुख स्तुतियों में चालिस ही चौपाई होते हैं? विद्वानों के अनुसार चालीसा यानि चालीस, संख्या चालीस, हमारे देवी-देवीताओं की स्तुतियों में चालीस स्तुतियां ही सम्मिलित की जाती है। जैसे श्री हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, शिव चालीसा आदि।
इन स्तुतियों में चालीस ही क्यों होती है? इसका धार्मिक दृष्टिकोण है। इन चालीस स्तुतियों में संबंधित देवता के चरित्र, शक्ति, कार्य एवं महिमा का वर्णन होता है।
चालीस चौपाइयां हमारे जीवन की संपूर्णता का प्रतीक हैं, इनकी संख्या चालीस इसलिए निर्धारित की गई है क्योंकि मनुष्य जीवन 24 तत्वों से निर्मित है और संपूर्ण जीवनकाल में इसके लिए कुल 16 संस्कार निर्धारित किए गए हैं। इन दोनों का योग 40 होता है। इन 24 तत्वों में 5 ज्ञानेंद्रिय, 5 कर्मेंद्रिय, 5 महाभूत, 5 तन्मात्रा, 4 अन्त:करण शामिल है। सोलह संस्कार इस प्रकार है- 1. गर्भाधान संस्कार
- पुंसवन संस्कार
- सीमन्तोन्नयन संस्कार
- जातकर्म संस्कार
- नामकरण संस्कार
- निष्क्रमण संस्कार
- अन्नप्राशन संस्कार
- चूड़ाकर्म संस्कार
- विद्यारम्भ संस्कार
- कर्णवेध संस्कार
- यज्ञोपवीत संस्कार
- वेदारम्भ संस्कार
- केशान्त संस्कार
- समावर्तन संस्कार
- पाणिग्रहण संस्कार
- अन्त्येष्टि संस्कार
देवता की स्तुति चालीस चौपाई में करने का एक अन्य तार्किक कारण भी है। कारण है , जो देता है वह देवता है। हम देवो की स्तुति करते है कुछ पाने के लिए। मानव जीवनमे चार पुरुषार्थ है- अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष या मुक्ति । ये चारो जीवन में प्राप्त हो जाय तो जीवन सार्थक है। पर यदि ये चारो जीवन से निकल जाय तो जीवन तो जीवन शून्य हो जाता है । चालीस चौपाइयों में स्तुति करने से हम धीरे-धीरे ये चारो पाने लगते है। पर अगर अहंकार बस हम चालिस चौपाइयो की स्तुति नही करते है तो ये चारो हमारे जीवन से निकलने लगते है ,और अंत मे हमारा जीवन उसी प्रकार शून्य होजाता है जैसे चालिस से चार हट जाने पर केवल शून्य ही रह जाता है।
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इसका अर्थ यह नहीं है की अन्य मन्त्र पद्धतियां या पाठ निष्फल होते हैं। सबका अपना अलग प्रभाव व नियम होते हैं।
वस्तुतः चालीसा सामान्य जन-मानस के जीवन शैली से अच्छा सामंजस्य बना लेती है। जिस प्रकार हमारा खाना ४० दिन में पच कर जीवन द्रव्य का निर्माण करता है उसी प्रकार ४० पदों वाली चालीसा भी एक गृहस्थ का सर्वांगीण समुचित विकास करने में सहायक सिद्ध होती है। हमारे ऋषि मुनि अत्यधिक ज्ञानी थे।
भगवान की इन स्तुतियों में हम उनसे इन तत्वों और संस्कारों का बखान तो करते ही हैं, साथ ही चालीसा स्तुति से जीवन में हुए दोषों की क्षमायाचना भी करते हैं। इन चालीस चौपाइयों में सोलह संस्कार एवं 24 तत्वों का भी समावेश होता है। जिसकी वजह से जीवन की उत्पत्ति होती है। श्री हनुमान चालीसा में बाबाजी के 108 नामों का उच्चारण किया गया है।


References:
जानिए श्री हनुमान चालीसा में चालीस दोहे ही क्यों हैं
हनुमान चालीसा मे चालीस दोहो का रहस्य