ऊंचे पहाड़ों पर ही क्यों बने है अधिकतर सिद्ध मंदिर, एक वैज्ञानिक रहस्य?
क्या अपने सोचा है की हिन्दू धर्म में अधिकतर बड़े सिद्ध धर्मस्थल ऊँचे पहाडो पर ही क्यों बने हुए है ? आखिर क्या है इसका रहस्य, आखिर क्यों सभी बड़े सिद्ध मंदिर, धर्म स्थल और सिद्ध स्थान ऊँचे पहाडो पर है, और क्यों इन्हें साधारण मानवो से दूर रखने का प्रयास किया गया? आखिर यह स्थल मैदानी इलाको में भी तो हो ही सकते थे ?
जब ज्ञानपंती टीम ने पहाड़ो पर ही अधिकतर सिद्ध मंदिर और शक्ति पीठ होने की पड़ताल की तो इसमें कई रहस्यमयी बातें सामने आई, जिससे एक एक कर इन रहस्यों की परते खुलती चली गयी |
इसी विषय के कई जानकारों से इस बारे में जो बाते सामने आई है वह वास्तव में चौकाने वाली है, आइये जानते है क्या कहा है सिद्धो ने इस बारे में।
- वास्तव में यह मंदिर नहीं अपितु साधना स्थल है। चौक गए ना ? सिद्दो के अनुसार यह कोई आम स्थल नहीं है जहाँ किसी मूर्ति की आराधना होती है अपितु यह ऐसे विशेष स्थल है जहाँ उस देवी/देवता की विशेष ऊर्जा अधिक मात्रा में प्रवाहित होती है, जिस कारण साधना में जल्दी सफलता मिलती है और कालांतर में यही स्थल लोगो के बीच में लोकप्रिय हुए और लोगो ने इसे मंदिर की तरह प्रयोग किया जिस कारण साधनात्मक पद्धितियां लुप्त होती गयी |
- शोर कोलाहल से दूर किसी भी साधना में अत्यधिक एकांत की आवश्यकता होती है और मैदानी इलाको में यह व्यवस्था नहीं है और क्योंकि पहाड़ी इलाको में जनसँख्या बहुत ही कम होती है अतः यहाँ साधना करने में सुविधा रहती है।
- प्राक्रतिक उर्जा पहाड़ अपने आप में पिरामिड के आकर होते है जहाँ उर्जा का प्रवाह ज्यादा रहता है इसीलिए शक्ति साधको को साधनाओ में सफलता आसानी से मिलती है और जिस स्थान पर साधना सिद्ध होती है वही स्थान मंदिर की तरह पूजे जाने लगते है |
- अनेक सिद्धों के स्थित होने का प्रभाव
ऊँचे पहाडो में कई सिद्ध भी वास करते है जिनका सम्बन्ध भी उस स्थान पर पड़ता है और कहते है न की जिधर भक्त होते है भगवान् भी वहीँ वास करते है, जैसे केदारनाथ पूरी तरह से सिद्ध स्थल है जहाँ नर-नारायण ने तपस्या की थी और उसी कारण वहां मंदिर स्थापित हुआ। - प्रकृति के निकट प्रकृति के निकट होने और मानव जन से दूर होने के कारण पहाडो पर प्राकृतिक सफाई रहती है और प्रकृति के भी निकट रहा जा सकता है जिस कारण दैव प्रत्यक्षीकरण भी जल्दी होता है और जिधर दैव प्रत्यक्ष कर उसने वरदान लिया जाता है स्थान अपने आप मंदिर समान बन जाता है |
- लम्बी एवं बड़ी साधनाओ के लिए उपयुक्त
वीरान और रहस्यमयी होने के कारण पहाड़ लम्बी और बड़ी साधनाओ में लिए अधिक उपयुक्त रहते है, जिधर सफलता के ज्यादा चांस भी रहते है। - दैव कारण शुरू से ही पहाडो को देवताओं की भ्रमण स्थली माना गया है और देवताओं का पहाडो में सूक्ष्म रूप से वास भी कहाँ गया है |
- वरदान पुराणों में एतिहासिक रूप से वर्णित है की कई पहाडो को देव शक्तियों का निवास स्थल होने का वरदान भी प्राप्त है जिसके कारण कई पर्वत श्रृंखलाए वन्द्निय भी है।
- स्वास्थ्य कारक आपने देखा होगा की पहाडो पर रहने वालो का स्वास्थ्य, मैदानी इलाको में रहने वालो के मुकाबले ज्यादा मजबूत होता है और यही कारण है की ऐसे स्थानों पर अध्यात्म का विकास भी जल्दी होता है |
- मौसम मैदानी इलाको में मौसम जल्दी जल्दी बदलता है लेकिन अधिकतर पहाड़ी स्थानों पर मौसम एक सा रहता है और यह एक सबसे बड़ी वजहों में से एक है की क्यों अधिकतर ऋषि मुनि पहाडो पर ही वास करते है, जिससे की उनका अधिकतर समय मौसम की प्रतिकूलता की तैयारी में ही नष्ट न हो जाएँ।
Post courtesy: Mantra Tantra Yantra Vigyan Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji
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