ये 7 सुगंध चमत्कारिक रूप से बदल देंगी आपका भविष्य
हिन्दू धर्म में सुगंध या खुशबू का बहुत महत्व माना गया है। वह इसलिए कि सात्विक अन्न से शरीर पुष्ट होता है तो सुगंध से सूक्ष्म शरीर। यह शरीर पंच कोष वाला है। जड़, प्राण, मन, विज्ञान और आनंद। सुगंध से प्राण और मनोमय कोष पुष्ट होता है। इसलिए जिस व्यक्ति के जीवन में सुगंध नहीं उसके जीवन में शांति भी नहीं। शांति नहीं तो सुख और समृद्धि भी नहीं।
सुगंध का असर :
सुगंध से आपना मस्तिष्क बदलता है, सोच बदलती और सोच से भविष्य बदल जाता है। सुगंध आपके विचार की क्षमता पर असर डालती है। यह आपकी भावनाओं को बदलने की क्षमता रखती है।
सुगंध के लाभ :
सुगंध के चमत्कार से प्राचीनकाल के लोग परिचित थे तभी तो वे घर और मंदिर आदि जगहों पर सुगंध का विस्तार करते थे। यज्ञ करने से भी सुगंधित वातावरण निर्मित होता है। सुगंध के सही प्रयोग से एकाग्रता बढ़ाई जा सकती है। सुगंध से स्नायु तंत्र और डिप्रेशन जैसी बीमारियों को दूर किया जा सकता है। जानिए सुगंध का सही प्रयोग कैसे करें और साथ ही जानिए सुगंध का जीवन में महत्व।
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मनुष्य का मन चलता है शरीर के चक्रों से। इन चक्रों पर रंग, सुगंध और शब्द (मंत्र) का गहरा असर होता है। यदि मन की अलग-अलग अवस्थाओं के हिसाब से सुगंध का प्रयोग किया जाए तो तमाम मानसिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
सावधानी :
ध्यान रहे कि परंपरागत सुगंध को छोड़कर अन्य किसी रासायनिक तरीके से विकसित हुई सुगंध आपकी सेहत और घर के वातावरण को नुकसान पहुंचा सकती है। बहुत से लोग घर में मच्छर मारने की दवा छिड़कते हैं या कोई बाजारू प्रॉडक्ट जलाते हैं। यह एक ओर जहां आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, वहीं यह आपके घर के वातावरण को बिगाड़कर वास्तुदोष निर्मित भी कर सकता है। हालांकि मच्छरदानी इसका अच्छा विकल्प हो सकता है।
सुगंध का उपयोग :
यदि आप सुगंध के रूप में धूपबत्ती या अगल बत्ती जला रहे हैं या घर में कहीं पर इत्र का उपयोग कर रहे हैं तो ध्यान रहे कि सुगंध प्राकृतिक और हल्की होना चाहिए। बहुत तीखी सुगंध का विपरित असर हो सकता है। भीनी-भीन सुगंध ही असरकारक होती है। और यदि शरीर पर सुगंध का उपयोग कर रहे हैं तो कलाइयों पर, गर्दन के पीछे और नाभि पर लगाकर इसका उपयोग करें। अगर आप चाहें तो जल में भी सुगंध डालकर इससे स्नान कर सकते हैं।
विद्यार्थियों, अविवाहितों को केवल चंदन का इस्तेमाल करना चाहिए। काम करने या पूजा करने के पहले ही सुगंध का उपयोग करना चाहिए। कार्यस्थल या पूजा स्थल पर चंदन और गुग्गल की सुगंध का ही उपयोग करना चाहिए इससे कार्य और पूजा में मन लगा रहता है। ध्यना करते वक्त भी इसी सुगंध का प्रयोग करना चाहिए। मानसिक तनाव को दूर करने और अच्छी सेहत के लिए अपने बैडरूम में और नहाने के दौरान गुलाब, रातरानी और मोगरे की सुगंध का उपयोग करना चाहिए। सोने के पहले अपनी नाभि पर चंदन या गुलाब की सुगंध लगाकर सो जाइये।
1.कर्पूर :
कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है तथा इसके दहन से वातावरण सुगंधित हो जाता है। कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है। प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं। हिन्दू धर्म में संध्यावंदन, आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेने की परंपरा है।
पूजन, आरती आदि धार्मिक कार्यों में कर्पूर का विशेष महत्व बताया गया है। रात्रि में सोने से पूर्व कर्पूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है। इसके अलावा प्रतिदिन घर में अष्टगंध की सुगंध भी फैलाएं। बाजार से अष्टगंध का एक डिब्बा लाकर रखें और उसे देवी और देवताओं को लगाएं।
घर के वास्तुदोष को मिटाने के लिए कर्पूर का बहुत महत्व है। यदि सीढ़ियां, टॉयलेट या द्वार किसी गलत दिशा में निर्मित हो गए हैं, तो सभी जगह 1-1 कर्पूर की बट्टी रख दें। वहां रखा कर्पूर चमत्कारिक रूप से वास्तुदोष को दूर कर देगा। रात्रि में सोने से पहले पीतल के बर्तन में घी में भीगा हुआ कर्पूर जला दें। इसे तनावमुक्ति होगी और गहरी नींद आएगी


2.अष्टगंध :
अष्टगंध को 8 तरह की जड़ी या सुगंध से मिलाकर बनाया जाता है। अष्टगंध 2 प्रकार का होता है- पहला वैष्णव और दूसरा शैव। यह प्रकार इसके मिश्रण के अनुसार है।
i.शैव अष्टगंध :
कुंकुमागुरुकस्तूरी चंद्रभागै: समीकृतै।
त्रिपुरप्रीतिदो गंधस्तथा चाण्डाश्व शम्भुना।। -कालिका पुराण
कुंकु, अगुरु, कस्तूरी, चंद्रभाग, गोरोचन, तमाल और जल को समान रूप में मिलाकर बनाया जाता है।
ii.वैष्णव अष्टगंध :
चंदनागुरुह्रीबेकरकुष्ठकुंकुसेव्यका:।
जटामांसीमुरमिति विषणोर्गन्धाष्टकं बिन्दु।। -कालिका पुराण
चंदन, अगुरु, ह्रीवेर, कुष्ट, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी और मुर को मिलाकर बनाया जाता है।
जो भी हो अष्टगंध की सुगंध अत्यंत ही प्रिय होती है। इसका घर में इस्तेमाल होते रहने से चमत्कारिक रूप से मानसिक शांति मिलती है और घर का वास्तुदोष भी दूर हो जाता है। इसके इस्तेमाल से ग्रहों के दुष्प्रभाव भी दूर हो जाते हैं।


3.गुग्गुल की सुगंध :
गुग्गुल एक वृक्ष का नाम है। इससे प्राप्त लार जैसे पदार्थ को भी ‘गुग्गल’ कहते हैं। इसका उपयोग सुगंध, इत्र व औषधि में भी किया जाता है
इसकी महक मीठी होती है और आग में डालने पर वह स्थान सुंगध से भर जाता है। गुग्गल की सुगंध से जहां आपके मस्तिष्क का दर्द और उससे संबंधित रोगों का नाश होगा वहीं इसे दिल के दर्द में भी लाभदायक माना गया है।
घर में साफ-सफाई रखते हुए पीपल के पत्ते से 7 दिन तक घर में गौमूत्र के छींटे मारें एवं तत्पश्चात शुद्ध गुग्गल की धूप जला दें। इससे घर में किसी ने कुछ कर रखा होगा तो वह दूर हो जाएगा और सभी के मस्तिष्क शांत रहेंगे। हफ्ते में 1 बार किसी भी दिन घर में कंडे जलाकर गुग्गल की धूनी देने से गृहकलह शांत होता है।


4.गुड़-घी की सुगंध :
इसे धूप सुगंध या अग्निहोत्र सुगंध भी कह सकते हैं। गुरुवार और रविवार को गुड़ और घी मिलाकर उसे कंडे पर जलाएं। चाहे तो इसमें पके चावल भी मिला सकते हैं।
इससे जो सुगंधित वातावरण निर्मित होगा, वह आपके मन और मस्तिष्क के तनाव को शांत कर देगा। जहां शांति होती है, वहां गृहकलह नहीं होता और जहां गृहकलह नहीं होता वहीं लक्ष्मी वास करती हैं।


5.रातरानी:
इसके फूल रात में ही खिलकर महकते हैं। एक टब पानी में इसके 15-20 फूलों के गुच्छे डाल दें और टब को शयन कक्ष में रख दें। कूलर व पंखे की हवा से टब का पानी ठंडा होकर रातरानी की ठंडी-ठंडी खुशबू से महकने लगेगा।
सुबह रातरानी के सुगंधित जल से स्नान कर लें। दिनभर बदन में ताजगी का एहसास रहेगा व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलेगा। रातरानी की सुगंध से सभी तरह की चिंता, भय, घबराहट आदि सभी मिट जाती है। सुगंध में इसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अधिकतर लोग इसे अपने घर आंगन में इसलिए नहीं लगाते हैं क्योंकि यह सांप को आकर्षित करती है।


6.गुलाब :
गुलाब के इत्र से शायद दुनिया की हर संस्कृति वाकिफ है। गुलाब बहुत ही गुणकारी फूल है, लेकिन केवल देशी गुलाब, जो सिर्फ गुलाबी और लाल रंग का होता है और जो बहुत ही खुशबूदार होता है। गुलाब का इत्र लगाने से देह के संताप मिट जाते हैं।
इन फूलों का गुलकंद गर्मी की कई बीमारियों को शांत करता है। गुलाब जल से आंखों को धोने से आंखों की जलन में आराम मिलता है। गुलाब का इत्र मन को प्रसन्नता देता है। गुलाब का तेल मस्तिष्क को ठंडा रखता है और गुलाब जल का प्रयोग उबटनों और फेस पैक में किया जा सकता है।


7.चंदन की सुगंध :
हम यहां चंदन की अगरबत्ती की सुगंध की बात नहीं कर रहे हैं। पूजन सामग्री वाले के यहां चंदन की एक बट्टी या टुकड़ा मिलता है। उस बट्टी को पत्थर के बने छोटे से गोल चकले पर घिसा जाता है। प्रतिदिन चंदन घिसते रहने से घर में सुगंध का वातावरण निर्मित होता है।
सिर पर चंदन का तिलक लगाने से शांति मिलती है। जिस स्थान पर प्रतिदिन चंदन घीसा जाता है और गरूड़ घंटी की ध्वनि सुनाई देती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। चंदन के प्रकार : हरि चंदन, गोपी चंदन, सफेद चंदन, लाल चंदन, गोमती और गोकुल चंदन।
भीनी-भीनी और मनभावन खुशबू वाले चंदन को न सिर्फ इत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है बल्कि इसके तेल को गुलाब, चमेली या तुलसी के साथ मिलाकर उपयोग करने से कामेच्छा भी प्रबल होती है। चंदन की तरह की खस की सुगंध भी अति महत्वपूर्ण होती है। हालांकि इन दोनों ही तरह की सुगंध का उपयोग गर्मी में किया जाता है।


Bahut se sugandha choot gaye jaise Logan ke, agar k, tagar k, ghee ke, haldi ke, baaris ke etc