भारत में रविवार की छुट्टी किस व्यक्ति ने दिलाई?
और इसके पीछे उस महान व्यक्ति का क्या उद्देश्य था?
क्या है इसका इतिहास ?
साथियों, जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुयी है, उस महापुरुष का नाम है…’नारायण मेघाजी लोखंडे’।
नारायण मेघाजी लोखंडे ये ज्योतिराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे और कामगार नेता भी थे। अंग्रेजो के समय में हफ्ते के सातो दिन मजदूरो को काम करना पड़ता था। लेकिन नारायण मेघाजी लोखंडे जी का ये मानना था की, हफ्ते में सात दिन हम अपने परिवार के लिए काम करते है। लेकिन जिस समाज की बदौलत हमें नौकरिया मिली है, उस समाज की समस्या छुड़ाने के लिए हमें एक दिन छुट्टी मिलनी चाहिए।
उसके लिए उन्होंने अंग्रेजो के सामने 1881 में प्रस्ताव रखा। लेकिन अंग्रेज ये प्रस्ताव मानने के लिए तयार नहीं थे। इसलिए आख़िरकार नारायण मेघाजी लोखंडे जी को इस रविवार(Sunday) की छुट्टी के लिए 1881 में आन्दोलन करना पड़ा। ये आन्दोलन दिन-ब-दिन बढ़ते गया। लगभग 8 साल ये आन्दोलन चला। आखिरकार 1889 में अंग्रेजो को रविवार(Sunday) की छुट्टी का ऐलान करना पड़ा। ये है इतिहास।
क्या हम इसके बारे में जानते है?
अनपढ़ लोग छोड़ो लेकिन क्या पढ़े लिखे लोग भी इस बात को जानते है?
जहा तक हमारी जानकारी है, पढ़े लिखे लोग भी इस बात को नहीं जानते। अगर जानकारी होती तो रविवार के दिन घर पर आराम नहीं करते ,बल्कि समाज का काम करते।
और यदि समाज का काम ईमानदारी से करते तो समाज में भुखमरी, शिक्षा, स्वास्थ्य बेरोजगारी, बलात्कार, गरीबी, दंगे फसाद, लाचारी ये सब समस्याए नहीं होती।
साथियों, इस रविवार की छुट्टीपर हमारा हक़ नहीं है। इसपर ‘समाज’ का अधिकार है।
कोई बात नहीं………आज तक हमें ये मालूम नहीं था लेकिन अगर
आज हमें मालूम हुआ है तो आज से ही रविवार का ये दिन सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करें!!
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