रामभक्त गोपन्ना की कथा
गोलकुण्डा के नवाब अब्दुल हसन तानाशाह ने गोपन्ना को तहसीलदार नियुक्त किया। ब्राह्मण गोपन्ना बहुत निष्ठापूर्वक अपना काम करते थे। एक बार वे भद्राचलम गये। वहां एक पुराना राम मंदिर था जो जीर्ण अवस्था में आ चुका था। गोपन्ना ने स्थानीय ग्रामवासियों से विचार विमर्श किया। ग्रामवासियों ने कहा कि अगर राजकोष के लिए वसूले गये धन में से एक हिस्सा वो मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए कर्ज स्वरूप दे दे तो फसल कटने के बाद वो राजकोष को कर्ज लौटा देंगे। रामभक्त गोपन्ना ने पहले तो मना किया लेकिन राम काज समझकर कर्ज दे दिया।
दुर्योग से उस साल फसल अच्छी नहीं हुई और ग्रामवासी गोपन्ना को कर्ज वापस नहीं कर पाये। नवाब को ये बात पता चली तो उन्होंने गोपन्ना को राजकोष के दुरुपयोग के आरोप में कारागार में डाल दिया। नवाब ने कहा जब सूद सहित धन वापस करोगे तभी कारागार से मुक्ति मिलेगी।
कारागार में गोपन्ना की रामभक्ति और प्रबल होती गयी। बारह वर्ष बीत गये लेकिन गोपन्ना को कोई शिकायत न हुई। उनकी राम में इतनी अगाध श्रद्धा थी कि वो राम को अपना सब कुछ मानते थे। वो कहते रामजी जिस अवस्था में रखेंगे, हम रहेंगे। वो हमारे माता पिता हैं। कोई अपने माता पिता से शिकायत करता है क्या?
बारह वर्ष बाद एक दिन चमत्कार हुआ। नवाब तानाशाह के दरबार मे दो युवक आये। दोनों ने अपना परिचय राम और लक्ष्मण के रूप में दिया और पूछने पर बताया कि वो अयोध्या से आये हैं। उन दोनों युवकों ने नवाब के राजकोष में बोपन्ना द्वारा मंदिर निर्माण के लिए दिया गया सारा धन सूद समेत लौटा दिया। नवाब को जब यह पता चला कि राम और लक्ष्मण कोई और नहीं बल्कि गोपन्ना के वही भगवान हैं जिसका मंदिर बनाने के लिए गोपन्ना ने राजकोष का धन दिया था तो वह बहुत चकित हुआ। उसने गोपन्ना को न सिर्फ कारागार से मुक्त किया बल्कि भद्राचलम वापस भेजकर उन्हें आसपास के गांवों की भूमि भी दान कर दी ताकि मंदिर को धन की कमी न पड़े।
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यही गोपन्ना आगे चलकर भद्राचल रामदासु के नाम से विख्यात हुए। भद्राचल रामदासु का तेलुगु साहित्य और समाज में गहरा असर है। और ये सब बातें बहुत पुरानी नहीं है। यह सारा घटनाक्रम सोलहवीं सदी में घटित हुआ।
राम नित्य हैं। हर काल में। हर युग में। हर परिवेश में। वो भारत भूमि के कण कण में प्रदीप्त हो रहे हैं। बस उनको अनुभव करने के लिए गोपन्ना जैसी अगाध श्रद्धा और धैर्य चाहिए। जब तक गोपन्ना जैसे श्रद्धापुरुष पैदा होते रहेंगे राम प्रकट होते रहेंगे।
हिन्दू संस्कृति के तीन राम हैं, दाशरथि राम,जामदग्न्य राम (परशुराम), हलधर राम (बलराम) . नमन

