हिन्दुओं के नाम सन्देश
वो 35 करोड़ हैं..35 करोड़ ऐसे लोग जो क्रूरता में गजनवी और औरंगजेब हैं..मगर विक्टिम होने का नाटक करने में दुर्योधन के समान कुटिल..जो एक दिमाग..एक आवाज..एक इकाई..एक सेना के रूप में आपके सामने आपका वजूद मिटाने को खड़े हैं..जरा नज़र घुमा के देखिए अपने चारों ओर..वे आपके चारों ओर मौजूद हैं। उन्होंने आठ सौ साल तक मंदिर तोड़े..पुस्तकालय जलाये..औरतों को बलात्कार के बाद नग्न कर खुले बाजारों में बेचा लेकिन उन्होंने सफलतापूर्वक ये नैरेटिव स्थापित कर दिया कि वे तो अपने हिंदू पड़ोसियों के साथ अमनो मुहब्बत से रह रहे थे..गंगा-जमनी तहजीब निभा रहे थे।
उन्होंने 1946 में लगभग शत-प्रतिशत पाकिस्तान के पक्ष में मतदान किया और पाकिस्तान के बनने के बाद सफलतापूर्वक हिंदुओं पर नैरेटिव थोप दिया कि संविधान ने उन्हें यहां रुकने की इज़ाजत दी थी। जबकि संविधान विभाजन के 3 साल बाद 1950 में लागू हुआ। उन्हें संविधान ने नहीं, हिंदुओं ने यहां रखा था, और आज वो हिंदुओं से ही पूछ रहे हैं की “हिंदुस्तान तुम्हारे बाप का है ?”
उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी धार्मिक मान्यताओं के कारण तुर्की के खलीफा के पक्ष में सिर्फ खिलाफत आंदोलन में भाग लिया, लेकिन नैरेटिव इस तरह गढ़ा की भारत की स्वतंत्रता में उन्होंने बराबर भाग लिया था। सैयद अहमद शाह से लेकर जिन्ना तक वो अंग्रेजों की गोदी में खेल कर देश के साथ गद्दारी करते रहे लेकिन माफीनामे की पर्ची सावरकर के माथे पर थोप दी।
उन्होंने जिंदगी भर गांधी द्वारा की गयी तमाम चापलूसियों के बावजूद उनकी एक बात नहीं सुनी और जिन्ना को अपना नेता माना लेकिन गोडसे को लेकर सवाल सबसे पहले करते हैं।
दुनिया की 95% आतंकवादी घटनाओं के बावजूद वो ये स्थापित कर देते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं लेकिन निर्दोष साबित हुए साध्वी प्रज्ञा व कर्नल पुरोहित के माध्यम से हिंदू आतंकवाद का नैरेटिव गढ़ देते हैं।
दुनिया मे 56 इस्लामिक देश हैं जिनमे से किसी मे लोकतंत्र नही है, लेकिन ये लोकतंत्र को खत्म करने का इल्ज़ाम आप पर लगा रहे हैं। शाहीनबाग में हाथ मे संविधान लेकर एक लोकतांत्रिक तरीके से लागू हुए कानून का विरोध कर रहे हैं। उन 56 देशों में दूसरे धर्म के लोगों की क्या हालत है, ये पूरी दुनिया को पता है, लेकिन यहां ये खुद को विक्टिम साबित करते हुए 5% से 20% हो गए।
महाकाल एक्सप्रेस के नामकरण और उसके शुभागमन प्रतीक के रूप में एक बर्थ के रिजर्वेशन पर धर्मनिरपेक्षता को खतरे का नैरेटिव सैट करते हैं और प्लेटफॉर्म पर दरगाह सड़कों पर नमाज और रेलवे स्टेशन पर मस्जिद खड़ी करने से रोकने पर विक्टिम शो करते हैं।
आप कैसे लड़ोगे इन संगठित दुर्योधनों से ?कैसे जीतोगे ?
दुर्योधन के खिलाफ पांडवों के पास कृष्ण थे जो उसकी धूर्तता को पहचानते थे आपके पास भी हैं, लेकिन लड़ना तो आप ही को पड़ेगा। श्रीकृष्ण ने लड़ाई में हथियार ना उठाने की प्रतिज्ञा की थी यहां भी कुछ वैसा ही है वो सिर्फ मार्गदर्शन करेंगे। इनसे जीतने का रास्ता महाभारत में श्रीकृष्ण ने बताया है। दुर्योधन की तरह इनकी भी जंघा तोड़ो।
जंघा तोड़ने का मतलब समझते हैं ना, वो अपने पैरों पर खड़े न रह पाएं। मतलब आर्थिक बहिष्कार कर के। तभी जीत पाओगे।अब इस वक्त क्रिशन की भूमिका में कौन है?क्या यह भी मुझे ही बताना पडेगा?कुंभकर्णी नींद में सोए हुए मुर्दो जाग जाओ वर्ना तुम्हारी आने वाली नस्लों को यह राक्षस चट कर जाएंगे।