काशी का पंचगंगा घाट- वह घाट जहाँ संत कबीर को गुरू मंत्र मिला
धर्म आध्यात्म संस्कृति की नगरी काशी में विद्वानों की भी एक लंबी परंपरा रही है। अनेकों ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं को अपने में समेटे हुए यह शहर तमाम महत्वपूर्ण पलों का गवाह रहा है। इस घाट से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना, इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
पंचगंगा घाट कबीर के संत कबीर बनने का साक्षी रहा है। इसी घाट पर काशी के महान विद्वान रामानंदाचार्य रहते थे। कबीरदास जी एक बार उनसे मिले और कहा कि मैं आपको अपना गुरु बनाना चाहता हूं। इस बात पर रामानंदाचार्य ने कहा कि अभी तुम्हारी उम्र काफी कम है इसलिए तुम इस योग्य नहीं हो, लेकिन अपने धुन के पक्के कबीरदास ने ठान लिया कि गुरु इन्हीं को बनाना है। रामानंदाचार्य प्रतिदिन प्रात: सीढिय़ां उतरकर गंगा जी में स्नान करने जाते थे।
एक दिन कबीरदास सुबह ब्रह्म मुहूर्त में घाट की सीढिय़ों लेट गए। रोज की तरह जब रामानंदाचार्य स्नान के लिए सीढिय़ां उतर रहे थे, तभी गलती से कबीरदास के ऊपर उनका पैर पड़ गया और उनके मुंह से निकल गया ‘राम राम’। इस पर कबीर दास जी उठ खड़े हुए और कहा कि यह शब्द ‘राम राम’ ही मेरा गुरुमंत्र है और आप मेरे गुरु हैं।


(उपरोक्त तस्वीर पंचगंगा घाट से सटे बाला जी घाट की है, अतः आप भ्रमित ना हो क्यों कि तस्वीर बस एक माध्यम है बनारस के पंचगंगा घाट की विशेषता बतलाने के लिये)
Credit- Vineet Sharma
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