चालीस खंभे वाला गणेश जी मन्दिर, बनारस
भगवान बड़ा गणेश का यह मंदिर काशी का विख्यात मंदिर है। यहां गणेश के सबसे स्वयंभू मूर्ति का दर्शन होता है। यह मंदिर लोहटिया में स्थित है। इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन, पूजन, अर्चन और नमन करते हैं। यहां दर्शन करने से हर मुराद पूरी होती है। मान्यता है कि संकटी चतुर्थी के दिन कृष्ण पक्ष में प्रथम देवाधिदेव भगवान गणपति का आविर्भाव हुआ था।
पांच फुट की प्रतिमा के त्रिनेत्र हैं:
मान्यता है की 2000 साल पहले जब काशी में गंगा के साथ मंदाकिनी का अस्तित्व था। उसी समय ये प्राकृतिक प्रतिमा निकली थी जो आज भी अपने मूल रूप में है। मूर्ति के पीछे का हिस्सा देखकर आप खुद भी अंदाजा लगा सकते हैं की इसमें कुछ अलग ही बात है। करीब साढे 5 फ़ुट की प्रतिमा है जो त्रिनेत्र के रूप में विद्यमान है। यहां गणेश जी पिछले 2 हजार सालों से अपने परिवार के साथ वास कर रहे हैं। उनकी पत्नी ऋद्धि और सिद्धि दोनों पुत्र शुभ और लाभ के साथ विराजित हैं।
40 खंभों पर बना है मंदिर:
हिंदू शैली के मुताबिक, किसी भी भवन और मंदिर का 40 खंभों पर टिका होना बहुत ही शुभ होता है। ये मंदिर भी 40 खंभों पर ही टिका है। मंदिर में कुछ जगहों पर मीनाकारी के निशान हैं। पत्थरों को तराश कर इस मंदिर को बेहद खूबसूरत रूप दिया गया है। यहां के नक्काशीदार दरवाजे से लेकर पाए तक सब कुछ निराले हैं। चांदी के छत्र के नीचे भगवान विराजमान हैं। ढुंढीराज गणेश जो विश्वनाथ द्वार पर हैं उनके स्वरुप की भी यहां पूजा होती है।




Credit: Priyanka Rai
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