स्टॉक मार्केट कविता
अगर कबीर के समय स्टॉक मार्केट होता तो वे कुछ ऐसा ही कहते._
तेजी मे इन्वेस्ट सब करें…
मंदी में करें न कोय….
जो मंदी में इनवेस्ट करें…..
सदा करें एन्जॉय ॥
तेजी मंदी दोनों चलें….
तभी मार्किट कहलाय …
तेजी में बेचे न कोय…
मंदी आये घबराए ॥
आलसी – लालची और ऋणी
इस मार्किट में ना आये …
काबू रहें न खुद के …
मार्केट पे दोष लगाय ॥
CNBC सुन सुन के
मुआ पंडित भया ना कोय …
सब्र और समझ से काम ले….
वही खिलाडी होय ॥
बॉटम बॉटम सब कहे
बॉटम बना न कोय
जब असल में बॉटम आये
रोकड़ा बचा न होय ॥
Disclaimer: This poem is not created by us. We found it interesting and just wanted to share. Thanks to the writer for creating such and amusing piece of work.
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