रामकृष्ण परमहंस की अनोखी पूजा
पूजा के इस ढंग पर कमेटी के सदस्यों को बहुत आश्चर्य हुआ ,उन्होंने रामकृष्ण परमहंस को बुलाया और पुछा –
“क्या यह सच है कि तुम फूल सूंघ कर देवता पर चढ़ाते हो? भगवान को भोग लगाने से पहले खुद अपना भोग लगा लेते हो? “
रामकृष्ण परमहंस की अनोखी पूजा


रामकृष्ण परमहंस को दक्षिणेश्वर में बीस रुपये प्रति माह के वेतन पर पुजारी की नौकरी मिली|उस समय बीस रूपये का वेतन पुजारी के लिए पर्याप्त होता था|
रामकृष्ण परमहंस ने सहज भाव से जवाब दिया-
“मैं बिना सूंघे भगवान पर फूल क्यों चढ़ाऊं? पहले देख लेता हूं कि उस फूल से कुछ सुगंध भी आ रही है या नहीं?”
दुसरे प्रश्न के जवाब में रामकृष्ण बोले-मैं अपना भोग तो नहीं लगाता पर मुझे अपनी मां की याद है वे कोई भी चीज बनाती थी तो पहले चख कर देखती थी कि मेरे खाने योग्य हैं या नहीं | इसलिए मैं भी भक्तों के लाये प्रसाद को चखकर देखता हूँ कि वो भगवान के चढाने लायक हैं या नहीं |
रामकृष्ण परमहंस का जवाब सुनकर कमेटी के सदस्य निरुत्तर हो गए|