June 2, 2023

माता शबरी एक विदुषी महिला

0
0
(0)

महर्षि श्रृंगी कहते हैं कि भारद्वाज ऋषि उस समय बहुत प्रसिद्ध हो चुके थे अपने ज्ञान विज्ञान को लेकर। उनका विमान बनाने की विद्या पर एक शास्त्र वैमानिकी उस समय तीनों लोकों में चर्चा में था। उनकी विज्ञानशाला की चर्चा हर घर में थी।

एक ऋषियों का समूह रेवक मुनि महाराज को प्रतिनिधि बनाकर भारद्वाज ऋषि की विज्ञानशाला देखने आया। प्रवाहण आदि ऋषि उसमें शामिल थे। जब वे भारद्वाज के पास पहुंचे तो उनका सत्कार करके ऋषि ने आने का कारण पूछा। रेवक मुनि महाराज ने कहा कि हम आपकी विज्ञानशाला देखने आए हैं।

तब ब्रह्मचारी सुकेता,, ब्रह्मचारी कवन्धि,, ब्रह्मचारिणी शबरी और ब्रह्मचारी रोहिणीकेतु ने एकसाथ कहा- आश्रम का नियम है कि कोई भी बिना यज्ञ किए विज्ञानशाला नहीं देख सकता। जब ऋषि यज्ञ कर रहे थे तो उस समय वर्तमान में उनके मस्तिष्क में चल रहे विचार यज्ञशाला में लगे यंत्रों में चित्र रूप में दिख रहे थे। ऋषिगण अहो अहो कर उठे।

विज्ञान के इस विस्मय को चमत्कृत होकर देखने लगे। शायद यह नियम इसलिए भी बनाया गया था जिससे पता चल सके कि कौन किस इरादे से विज्ञानशाला देखने आया है।क्योंकि उस समय रावण के दूत और गुप्तचर भी भेष बदलकर ऋषियों की टेक्नोलॉजी हथियाने के लिए घूमते रहते थे।

Dibhu.com-Divya Bhuvan is committed for quality content on Hindutva and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supportting us more often.😀


जब ऋषि विज्ञानशाला में प्रविष्ट हुए तो महर्षि भारद्वाज ने उन्हें एक यंत्र दिखाया।उस यंत्र में रक्त की एक बूंद डाल दो तो जिसका वह रक्त है उस व्यक्ति का चित्र चरित्र यंत्र में दृष्टिगोचर होने लगता था। महर्षि भारद्वाज ने बताया कि एकबार द्ददडिय गोत्र के मुनि सोमकेतु यहां आए थे। उन्होंने अपने पूर्वजों में अपने छठे महापिता को देखने की उत्कंठा थी,, वे एक वस्त्र लेकर आए थे जिसमें उनके #छठे महापिता का रक्त लगा था। जैसे ही रक्त की बूंद निचोड़कर यंत्र में डाली गई।उनके महापिता दिखाई देने लगे।सोमकेतु मुनि महाराज अत्यंत हर्षित हुए।

तब महर्षि भारद्वाज ने बताया कि यह यंत्र महर्षि पणपेतु की पुत्री ब्रह्मचारिणी शबरी ने बनाया है।यह 105 साल से मेरे यहाँ गुरुकुल में अध्धयन कर रही है और विभिन्न यंत्रों और अस्त्र शस्त्रों का निर्माण कर रही है। इसमें एक और अद्भुत गुण है। यह गुप्तचर भी है। रावण की घुसपैठ वनवासियों में कहां तक है यह खुद भीलनी बनकर उनके बीच जाकर सब पता कर आती है।

श्रृंगी ऋषि कहते हैं कि जब महाराजा राम का रावण से युद्ध ठन गया था तब यही ब्रह्मचारिणी शबरी वरुणास्त्र,आग्नेयास्त्र आदि विभिन्न प्रकार के आयुध राम को सहर्ष राष्ट्र रक्षा दधर्म रक्षा के लिए प्रदान करती है।

हमने टी वी में देखकर या मुगलकालीन ग्रन्थों को पढ़कर अपने विज्ञानवेत्ता ऋषियों, वेदवादिनी, ब्रह्मवादिनी ब्रह्मचारिणीयों को कैसी कमर झुकी हुई एक दिन हीन अवस्था में स्वीकार कर लिया,जबकि विज्ञानवेत्ता, वेदवेत्ता शबरी जूता है उन दोगलों के मुँह पर जो कहते हैं कि स्त्रियों को पढ़ने का अधिकार नहीं था।

ॐ श्री परमात्मने नमः।

Article by- Swami SuryaDev

Source

Mata Shabari burnt herself by Yogic fire and took divine form
Mata Shabari burnt herself by Yogic fire and took divine form
Facebook Comments Box

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!