फू-फू-बाबा
(पुरानी ग्रामीण आँचलिक कहानी)
एक ब्राह्मण था। उसके एक लड़का था। एक दिन बाप-बेटा दोनों दूसरे गांव जाने के लिए निकले। चलते-चलते रास्ता भूल गए और बियाबान जंगल में पहुंच गए। जंगल में एक डाइन रहती थी। दोनों को ज़ोर की भूख लगी थी। डाइन के घर पहुंचें। डाइन घर हीं में बैठी थी। उसे देखकर बाप-बेटा दोनों घर के एक कोने में पड़े कुठले में छिप गए। दोपहर होने पर डाइन घर के बाहर गई और दूध की एक बड़ी-सी हांडी लेकर लौटी। फिर डाइन ने खीर बनाई, और गरम खीर को ठण्डा करने के लिए रख दी।
बेटे को कड़ाके की भूख लगी थी। वह खाने के लिए बहुत बेताब हो रहा था। खीर देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। वह बाप से बोला, “पिताजी! अब तो मुझसे रहा नहीं जाता। मैं तो बाहर निकलकर खीर खाऊंगा। चाहे, डाइन मुझे मार ही क्यों न डाले।”
बाप ने कहा, “अच्छी बात है। धीमे-धीमे कुठले के बाहर निकलो, और डाइन की बायीं ओर बैठकर खीर खाओ। इस डाइन की बाई आंख खराब है। इसलिए वह तुमको देख नहीं पायेगी।”
बेटा बोला, “बहुत ठीक।”
बाद में बेटा बाहर निकला। उसे जोर की भूख लगी थी। इस कारण वह तो खीर खाने के लिए अधीर हो उठा था। ज्योंही उसने खीर के बरतन में हाथ डाला, त्योंही गरम-गरम खीर से उसका हाथ जल गया, और वह फू-फू करके हाथ को सहलाने लगा।
डाइन ने इससे पहले कभी फू-फू की आवाज नहीं सुनी थी, इसलिए वह एकदम डर गई। उसने सोचा, ‘मेरे घर में यह कौन आ गया? सचमुच यह कोई फू-फू बाबा है। मुझे तो यह कोई बहुत बड़ा राक्षस मालूम होता है।”
यह सोचकर डाइन फौरन घर से बाहर निकली और भागी। रास्ते में उसे एक सियार मिला। सियार ने पूछा, “बहन! इस तरह भागती हुई कहां जा रही हो?”
डाइन बोली, “अरे भैया! तुमसे क्या कहूं? मेरे घर में कोई ‘फू-फू’ बोल रहा है। मैं तो बहुत ही डर गई हूं। घर में बढ़िया खीर बनाकर रखी है, लेकिन अब घर के अन्दर जाने की मुझे तो हिम्मत नहीं होती।”
सियार बोला, “अरी बहन! तुम इतना डरती क्यों हो? चलो, मैं तुम्हारे साथ चलता हूं। डाइन के घर और कौन हो सकता है? तुमसे तो सब डरते हैं।”,
डाइन और सियार दोनों घर की तरफ चले। दोनों घर के अन्दर गये। सियार ने चारों तरफ देखा, तो कुठले के पास या घर में कहीं कोई दिखाई नहीं पड़ा। हां, कुठले में से फू-फू की आवाज ज़रूर आ रही थी। बेटा अभी भी अपने जले हुए हाथ पर फूंक मार पड़ा था।
सियार बोला, “हां, हां! कुछ है जरूर। मैं थोड़ी जांच करके देखता हूं।”
इतना कहकर सियार कुठले पर चढ़ा, और उसके अन्दर उतरने लगा।
जैसे ही सियार की पूंछ कुठलें के अन्दर गई, वैसे ही बाप ने उसे पकड़ लिया, और मरोड़ा।
सियार ज़ोर से चीखने-चिल्लाने लगा। वह बोला, “बाप रे बाप! कुठले में तो कोई मरोड़ने वाला बाबा बैठा है। भागों, बहन, भागो। यह तो ‘फू-फू बाबा’ का भी बाप मालूम होता है।”
सियार ने पूंछ छुड़ाने के लिए जो ज़ोर लगाया, तो उसकी पूंछ ही टूट गई। घबराकर सियार और डाइन अपनी जान लेकर भाग खड़े हुए। बाद में ब्राह्मण और उसका बेटा दोनों कुठले से बाहर निकले और खीर खा लेने के बाद आराम के साथ अपने घर जा पहुंचे।
Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supporting us more often.😀
Tip us if you find our content helpful,
Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com